भारत-चीन सीमा पर अरुणाचल प्रदेश के पास शुरू हुए संघर्ष के बाद इसकी लपटें राजधानी दिल्ली तक महसूस की गईं। आज संसद के शीतकालीन सत्र का तूफानी असर देखने को मिला। कांग्रेस, शिवसेना, तृणमूल कांग्रेस समेत कई विपक्षी सांसदों ने इस मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव का नोटिस देकर चर्चा की मांग की|
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आखिरकार लोकसभा में इस पर आधिकारिक बयान दिया। उन्होंने सदन को बताया कि इस मामले में कोई जवान शहीद नहीं हुआ, उन्होंने यह भी कहा कि चीन की कोशिश को जवानों ने नाकाम कर दिया| लेकिन रक्षा मंत्री के बयान के बाद सदन में चर्चा कराने से मना कर दिया गया| विरोध में विपक्ष ने बैठक का बहिष्कार किया। विपक्ष ने इस बात पर भी सवाल उठाए कि सरकार ने चार दिनों तक इस मामले की जानकारी क्यों छिपाई|
दूसरी ओर, चीन के मुद्दे पर कांग्रेस के आक्रमण के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इतिहास को फिर से जीवंत कर दिया। गलवान की घटना के बाद कांग्रेस के नेता चीनी राजदूत से मिल रहे थे, उनकी मदद से राजीव गांधी फाउंडेशन का काम कैसे चल रहा है, इस मुद्दे को उठाया|
15 जून, 2020 को चीन ने लद्दाख की गलवान घाटी में आग लगा दी। उसके बाद फिर से चीन की शिकायतें जारी हैं। पिछले महीने ही इंडोनेशिया के बाली में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आमना-सामना हुआ था। हालांकि इसमें किसी ठोस द्विपक्षीय चर्चा की उम्मीद नहीं थी, लेकिन माना जा रहा था कि इस घटना से दोनों देशों के बीच तनाव कम हुआ है।
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