पाकिस्तान के साथ हालिया चार दिवसीय सैन्य संघर्ष ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारत की रक्षा निर्माण क्षमताओं ने वैश्विक मंच पर नई पहचान बनाई है। इस संघर्ष में भारतीय हथियारों की प्रभावशाली भूमिका और प्रदर्शन ने अंतरराष्ट्रीय खरीदारों का ध्यान आकर्षित किया है। अब केंद्र सरकार 2029 तक रक्षा निर्यात को दोगुना कर ₹500 अरब (लगभग $5.8 बिलियन) तक पहुँचाने का लक्ष्य लेकर चल रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में शुरू की गई ‘मेक इन इंडिया’ पहल के अंतर्गत भारत न केवल मोबाइल फोन, मिसाइलें और ड्रोन जैसे औद्योगिक उत्पाद बना रहा है, बल्कि अब इन्हें वैश्विक बाजारों में भेजने की दिशा में भी तेज़ी से बढ़ रहा है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भारतीय सेना ने पाकिस्तान के आतंकी शिविरों पर बड़ा हमला बोला था। ब्रह्मोस मिसाइलों से किए गए हमलों ने पाकिस्तान की सैन्य संरचना को भारी नुकसान पहुंचाया। इसके बाद भारत के हथियार प्रणालियों की मांग अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बढ़ी है।
ड्रोन स्टार्टअप राफे मफिब्र (Raphe mPhibr) के सीईओ विवेक मिश्रा ने Financial Times को बताया, “यदि भारतीय सेना कठिन परिस्थितियों में हमारे सिस्टम का इस्तेमाल कर रही है और वे प्रदर्शन से संतुष्ट हैं, तो यह अन्य देशों के लिए भी एक भरोसेमंद प्रमाण बन जाता है।” राफे मफिब्र द्वारा विकसित mR10 और mR10-IC जैसे स्वार्म-कैपेबल वर्टिकल टेक-ऑफ एंड लैंडिंग ड्रोन ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में इस्तेमाल किए गए थे, जिसने अंतरराष्ट्रीय सैन्य हलकों में भारत के ड्रोन टेक्नोलॉजी को मान्यता दिलाई।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 8 जुलाई को दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान कहा, “ऑपरेशन सिंदूर में हमारे स्वदेशी हथियारों ने जो क्षमता दिखाई, उसके बाद दुनिया भर में उनकी मांग तेज़ी से बढ़ी है।” वित्त वर्ष 2023-24 में भारत का रक्षा निर्यात ₹236 अरब था, जिसे अब पांच वर्षों में दोगुना करने का लक्ष्य है।
भारत वर्षों तक दुनिया का एक बड़ा हथियार आयातक रहा है, जो अमेरिका, रूस, फ्रांस और इज़राइल से हथियार खरीदता रहा है। लेकिन अब सरकार की रणनीति स्वदेशी रक्षा उद्योग को चीन की बराबरी तक ले जाने की है। पीएम मोदी ने मई में कानपुर में एक बैठक के दौरान कहा, “ऑपरेशन सिंदूर ने ‘मेक इन इंडिया’ की ताकत को दुनिया के सामने रखा। हमारी घरेलू हथियार प्रणालियों ने दुश्मन के इलाके में गहरा नुकसान पहुंचाया।”
Financial Times की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने वर्ष 2022 में फिलीपींस को $375 मिलियन की लागत में ब्रह्मोस एंटी-शिप मिसाइलें निर्यात की थीं, जो भारतीय-रूसी संयुक्त उद्यम द्वारा निर्मित हैं। अब भारत वियतनाम और इंडोनेशिया के साथ भी इन मिसाइलों की बिक्री को लेकर बातचीत कर रहा है। इसके अलावा, भारत की योजना है कि वह भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) द्वारा निर्मित ‘आकाश’ एयर डिफेंस सिस्टम और तोपों (आर्टिलरी गन) को भी “मित्र राष्ट्रों” को निर्यात करे। इससे पहले भारत ने अर्मेनिया को भी BEL द्वारा बनाए गए स्वाठी वेपन लोकेटिंग रडार, पिनाका रॉकेट और आकाश प्रणाली बेची है। अर्मेनिया और भारत के बीच इन सौदों की कुल कीमत लगभग $60 मिलियन रही है, जो भारत की रक्षा निर्यात नीति में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
भारत के रक्षा उद्योग के लिए यह एक निर्णायक मोड़ है। जहां एक ओर सीमित बजट के चलते भारतीय सेना के लिए विदेशी खरीद चुनौतीपूर्ण होती है, वहीं निर्यात से मिलने वाला राजस्व स्वदेशी रक्षा क्षमताओं के विकास में अहम भूमिका निभा सकता है। भारत अब केवल सुरक्षा उपभोक्ता नहीं, बल्कि वैश्विक रक्षा बाजार का सक्रिय खिलाड़ी बनने की दिशा में बढ़ चुका है।
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