कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) के क्षेत्र में भारत ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के ग्लोबल एआई वाइब्रेंसी इंडेक्स 2024 के अनुसार भारत दुनिया का तीसरा सबसे मजबूत AI देश बनकर उभरा है। इस सूची में भारत ने अमेरिका और चीन के बाद तीसरा स्थान हासिल किया है। खास बात यह है कि वर्ष 2023 में भारत इस सूचकांक में सातवें स्थान पर था, यानी एक साल के भीतर भारत ने चार पायदान की छलांग लगाई है।
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा तैयार किया गया ग्लोबल एआई वाइब्रेंसी इंडेक्स यह मापता है कि कोई देश आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में कितना प्रतिस्पर्धी है। इस सूचकांक में शोध एवं विकास (R&D), टैलेंट, आर्थिक गतिविधि, इंफ्रास्ट्रक्चर, शासन व्यवस्था और सार्वजनिक राय जैसे कई अहम मानकों को शामिल किया जाता है। इन सभी स्तंभों के आधार पर एक वेटेड स्कोर तैयार किया जाता है, जो यह दर्शाता है कि कोई देश AI तकनीक को विकसित करने, लागू करने और बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करने में कितना सक्षम है।
रिपोर्ट के मुताबिक, संयुक्त राज्य अमेरिका 78.60 के स्कोर के साथ पहले स्थान पर है। अमेरिका AI के शोध, आर्थिक उपयोग, इंफ्रास्ट्रक्चर, प्राइवेट निवेश, कंप्यूट क्षमता और AI मॉडल निर्माण में अग्रणी बना हुआ है। Gemini 2.0 Pro, o1 और Llama 3.1 जैसे मॉडल इसकी ताकत को दर्शाते हैं।
चीन 36.95 के स्कोर के साथ दूसरे स्थान पर बना हुआ है। चीन AI शोध, पब्लिकेशन, पेटेंट और नए AI मॉडल लॉन्च करने में मजबूत स्थिति में है, साथ ही उसकी सरकारी रणनीति AI को व्यापक रूप से अर्थव्यवस्था में एकीकृत करती है।वहीं भारत 21.59 के स्कोर के साथ तीसरे स्थान पर पहुंचा है, जो 2023 में सातवें स्थान से बड़ी छलांग मानी जा रही है।
अन्य प्रमुख देशों में दक्षिण कोरिया (17.24) चौथे और यूनाइटेड किंगडम (16.64) पांचवें स्थान पर रहे।
भारत की इस तेजी से बढ़ती रैंकिंग के पीछे कई अहम कारण बताए जा रहे हैं। सरकारी स्तर पर AI को बढ़ावा देने वाली नीतियां, स्टार्टअप्स के लिए अनुकूल माहौल और पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप ने AI इकोसिस्टम को मजबूती दी है। भारत के पास सॉफ्टवेयर, डेटा साइंस और इंजीनियरिंग में मजबूत टैलेंट पूल है, जिसने इस क्षेत्र में तेजी से विकास संभव किया है।
भारत की प्रगति संयोग नहीं है, बल्कि यह संरचनात्मक और नीतिगत प्रयासों का परिणाम है। डिजिटल इंडिया, IndiaAI Mission और AI शोध संस्थानों को मिल रहा सरकारी समर्थन नवाचार को गति दे रहा है। इसके साथ ही भारत का विशाल डेटा इकोसिस्टम और किफायती लेकिन कुशल मानव संसाधन, वैश्विक AI निवेश के लिए भारत को आकर्षक बनाता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यही रफ्तार बनी रही, तो आने वाले वर्षों में भारत न सिर्फ वैश्विक AI नवाचार का केंद्र बनेगा, बल्कि AI आधारित आर्थिक विकास में भी अहम भूमिका निभाएगा।
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