भारत सरकार ने NATO प्रमुख मार्क रट की उस चेतावनी पर तीखी प्रतिक्रिया दी है, जिसमें भारत, ब्राजील और चीन को रूस के साथ व्यापार जारी रखने पर दूसरी श्रेणी के प्रतिबंधों की आशंका जताई गई थी। विदेश मंत्रालय ने गुरुवार (17 जुलाई) को कड़े शब्दों में कहा कि भारत अपनी ऊर्जा ज़रूरतों को लेकर वैश्विक परिस्थितियों और बाजार की वास्तविकता के आधार पर निर्णय लेता है और इस मुद्दे पर किसी प्रकार के दोहरे मापदंड को स्वीकार नहीं करेगा।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने साप्ताहिक प्रेस ब्रीफिंग में कहा, “हमने इस विषय पर रिपोर्ट्स देखी हैं और हम इन घटनाक्रमों पर नज़र बनाए हुए हैं। मैं दोहराना चाहता हूं कि हमारी प्राथमिकता हमारे देशवासियों की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करना है। इस दिशा में हम बाजार में उपलब्ध विकल्पों और वैश्विक परिस्थितियों से मार्गदर्शन लेते हैं। हम इस मुद्दे पर किसी भी प्रकार के दोहरे मापदंड को लेकर सतर्क करते हैं।”
VIDEO | MEA press briefing: Reacting to NATO Chief Mark Rutte’s remarks, MEA spokesperson Randhir Jaiswal (@MEAIndia) says, “We have seen reports on the subject and are closely following the developments. Let me reiterate that securing energy needs of our people is understandably… pic.twitter.com/RmZWHpMGE1
— Press Trust of India (@PTI_News) July 17, 2025
NATO प्रमुख मार्क रट ने बुधवार (16 जुलाई )को अमेरिकी कांग्रेस में सांसदों से मुलाकात के दौरान यह बयान दिया था कि यदि भारत, ब्राजील और चीन रूस के साथ व्यापार करते रहे, तो उन्हें दूसरे दर्जे के प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने कहा, “यदि आप बीजिंग, दिल्ली या ब्राजीलिया में हैं, तो आपको यह विचार करना चाहिए कि यह सब आपके लिए भारी पड़ सकता है।” रट ने आगे कहा, “व्लादिमीर पुतिन को फोन करें और कहें कि अब शांति वार्ता को गंभीरता से लें, वरना यह भारत, चीन और ब्राजील पर भारी पड़ेगा।”
हालांकि, रट के इन बयानों की पृष्ठभूमि में यूरोपीय देशों और NATO सदस्यों द्वारा अभी भी बड़े पैमाने पर रूसी ऊर्जा का आयात किया जाना विरोधाभास की स्थिति को दर्शाता है। Centre for Research on Energy and Clean Air की रिपोर्ट के अनुसार, यूरोपीय संघ 2022 से अब तक रूस से तरल प्राकृतिक गैस और पाइपलाइन गैस का सबसे बड़ा आयातक रहा है, जबकि तुर्की स्वयं NATO का सदस्य है और रूसी तेल उत्पादों का सबसे बड़ा खरीदार है।
NATO द्वारा जहां एक ओर भारत पर प्रतिबंधों की चेतावनी दी जा रही है, वहीं यूरोपीय संघ ने रूसी तेल और गैस के आयात को 2027 और 2028 तक चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने का प्रस्ताव रखा है, लेकिन फिलहाल यह खरीद जारी है।
इस संदर्भ में केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भी गुरुवार (17 जुलाई) को स्पष्ट किया कि भारत के पास तेल आपूर्ति के कई विकल्प मौजूद हैं और यदि रूस से आपूर्ति पर असर पड़ता है, तो अन्य स्रोतों से जरुरतें पूरी कर ली जाएंगी। उन्होंने कहा, “मुझे कोई चिंता नहीं है। अगर कुछ होता है तो हम उसका समाधान कर लेंगे। भारत ने अपने आयात स्रोतों को 27 देशों से बढ़ाकर अब लगभग 40 देशों तक फैला दिया है।”
भारत का यह रुख यह स्पष्ट करता है कि वह अपनी ऊर्जा सुरक्षा को किसी भी वैश्विक दबाव या पक्षपातपूर्ण नीति के अधीन नहीं रखेगा।
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