भारत ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के आरोप को सख्ती से खारिज करते हुए कहा है कि नई दिल्ली पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को भारत की धरती से उकसाऊ बयान देने की अनुमति दे रही है, जिससे बांग्लादेश में आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा मिल रहा है। बांग्लादेश के अटपटे आरोपों पर विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि भारत ने कभी भी अपनी भूमि का इस्तेमाल किसी मित्र देश के हितों के खिलाफ गतिविधियों के लिए नहीं होने दिया है।
दौरान ढाका स्थित भारतीय उच्चायुक्त प्रणय वर्मा को बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय में तलब किया गया था। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने शेख हसीना की गतिविधियों को लेकर औपचारिक विरोध दर्ज कराया। शेख हसीना अगस्त 2024 में उनकी सरकार के तख्तापलट के बाद से भारत में आश्रय लेकर रह रही हैं। इसी के साथ बांग्लादेश ने एक बार फिर हसीना के प्रत्यर्पण की मांग भी दोहराई।
विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, “भारत ने कभी भी अपने क्षेत्र का इस्तेमाल बांग्लादेश के मित्रवत लोगों के हितों के खिलाफ गतिविधियों के लिए होने नहीं दिया है।” मंत्रालय ने बांग्लादेश की इस दलील को खारिज किया कि भारत हसीना को अपने समर्थकों को उकसाने और आगामी संसदीय चुनावों को बाधित करने के लिए मंच प्रदान कर रहा है।
बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय इससे पहले एक आधिकारिक बयान में कहा था कि भारतीय उच्चायुक्त को यह चिंता जताने के लिए बुलाया गया कि, भारत फरार शेख हसीना को बांग्लादेश में आतंकवादी गतिविधियों के लिए अपने समर्थकों को उकसाने वाले बयान देने दे रहा है। बांग्लादेश में 12 फरवरी को आम चुनाव प्रस्तावित हैं, हालांकि चुनाव आयोग पहले ही शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग को चुनाव लड़ने से रोक चुका है।
भारत ने दोहराया कि वह बांग्लादेश में स्वतंत्र, निष्पक्ष, समावेशी और विश्वसनीय चुनाव शांतिपूर्ण माहौल में कराए जाने के पक्ष में रहा है। विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि भारत को उम्मीद है कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार कानून-व्यवस्था बनाए रखने और शांतिपूर्ण चुनाव सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगी।
दरअसल बांग्लादेश की कूटनीतिक चाल ढाका में हुए एक हालिया हिंसक घटनाक्रम के बाद सामने आई। 12 फरवरी के चुनाव में उम्मीदवार और दक्षिणपंथी संगठन के युवा नेता शरीफ उस्मान हादी पर अज्ञात हमलावरों ने गोली चला दी, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए। बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने इस हमले का हवाला देते हुए भारत से आग्रह किया कि हमलावरों के भारत भागने की स्थिति में उन्हें तुरंत गिरफ्तार कर प्रत्यर्पित किया जाए। हालांकि, बांग्लादेश ने इस संबंध में कोई ठोस सबूत सार्वजनिक रूप से पेश नहीं किए हैं।
इसके साथ ही बांग्लादेश ने शेख हसीना और पूर्व गृह मंत्री असदुज्जामान खान कमाल के प्रत्यर्पण की मांग भी दोहराई है। ढाका ने भारत में रह रहे अवामी लीग के नेताओं पर चुनावों को बाधित करने के लिए कथित आतंकवादी गतिविधियों की योजना बनाने का आरोप लगाया, हालांकि इन दावों के समर्थन में बांग्लादेश प्रमाण देने में असमर्थ रहा है।
गौरतलब है कि अगस्त 2024 में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार के सत्ता में आने के बाद से भारत-बांग्लादेश संबंधों में लगातार तनाव देखा जा रहा है। बांग्लादेश में इस्लामी चरमपंथियों ने खून की नदियां बहा रहें है, जिस पर मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार का रोकने कोई विचार नहीं लगता। भारत ने कई मौकों पर बांग्लादेश में हिंदुओं सहित अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों और कट्टरपंथी ताकतों के दोबारा उभार को लेकर चिंता जताई है। मौजूदा घटनाक्रम ने दोनों देशों के बीच कूटनीतिक रिश्तों में बढ़ती दूरी को और स्पष्ट कर दिया है।
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