संयुक्त राष्ट्र महासभा के ग्यारहवें आपातकालीन विशेष सत्र में भारत ने गुरुवार को पाकिस्तान के खिलाफ अपने ‘जवाब के अधिकार’ का इस्तेमाल किया और इस्लामाबाद को आतंकवादियों को सुरक्षित पनाहगाह मुहैया कराने वाले देश के रूप में इसके ट्रैक रिकॉर्ड को देखने की सलाह दी। भारतीय काउंसलर प्रतीक माथुर ने कहा, ‘पाकिस्तान को एक देश के रूप में अपने ट्रैक रिकॉर्ड को देखना है, जो आतंकवादियों को शरण देता है और सुरक्षित आश्रय प्रदान करता है और वह ऐसा बिना किसी संकोच के करता है।
प्रतीक माथुर ने पाकिस्तान के अनावश्यक उकसावे को ‘अफसोसजनक’ बताते हुए यह भी कहा कि दो दिनों की गहन चर्चा के बाद, संयुक्त राष्ट्र में मौजूद सभी सदस्य इस बात पर सहमत हुए हैं कि संघर्ष और कलह को हल करने का एकमात्र रास्ता शांति का रास्ता हो सकता है।
उल्लेखनीय है कि भारत के सबसे वांछित पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा के उप प्रमुख अब्दुल रहमान मक्की को जनवरी में ‘ग्लोबल टेररिस्ट’ के रूप में नामित किया गया था। भारत ने 2021-22 के दौरान अपने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के कार्यकाल की सर्वोच्च प्राथमिकता में पाक स्थित आतंकवादियों की सूची बनाई थी। इस सूची में कुल पांच नाम थे। इनमें अब्दुल रहमान मक्की, अब्दुल रऊफ असगर, साजिद मीर, शाहिद महमूद और तल्हा सईद शामिल था, जिसे 2022 में 1267 आईएसआईएल और अल कायदा प्रतिबंध समिति के तहत भारत द्वारा प्रस्तुत किया गया था। इन पांच नामों में से प्रत्येक को शुरुआत में यूएन के स्थायी सदस्य देश चीन द्वारा तकनीकी तौर पर रोक लगा दिया गया था जबकि परिषद के अन्य सभी 14 सदस्य उनके नाम सूची में शामिल करने के लिए सहमत हुए थे।
वहीं पुणे में गुरुवार को एक ‘एशिया आर्थिक संवाद’ कार्यक्रम में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी आतंकवाद और पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति पर बात की। जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद भारत-पाकिस्तान संबंधों का मूलभूत मुद्दा है, जिससे कोई बच नहीं सकता है और हम मूलभूत समस्याओं से इनकार नहीं कर सकते हैं। उन्होंने आगे कहा, “कोई भी देश कभी भी मुश्किल स्थिति से बाहर नहीं निकल सकता और एक समृद्ध शक्ति नहीं बन सकता, अगर उसका मूल उद्योग आतंकवाद है।” विदेश मंत्री ने पाकिस्तान का नाम लिए बगैर कहा, “एक देश को अपने आर्थिक मुद्दों का समाधान करना होता है, उसी तरह उसे अपने राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों का समाधान करना होता है।”
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