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भारत दुनिया का छठा-सबसे बड़ा पेटेंट फ़ाइलर बना, नवाचार शक्ति में बड़ी छलांग

वैश्विक इनोवेशन इंडेक्स (GII) में भारत की रैंकिंग पिछले वर्षों में 81वें स्थान से बढ़कर 38वें स्थान पर पहुंच गई है,

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भारत ने वैश्विक नवाचार मानचित्र पर एक महत्वपूर्ण उपलब्धि दर्ज की है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने दिल्ली में एक वार्षिक टेक-फेस्ट को संबोधित करते हुए बताया कि भारत अब दुनिया का छठा-सबसे बड़ा पेटेंट फ़ाइलर बन गया है। देश में कुल 64,000 से अधिक पेटेंट आवेदन दायर किए गए, जिनमें से 55% से अधिक आवेदन भारतीय निवासियों द्वारा दाखिल किए गए हैं। यह बदलाव दर्शाता है कि भारत केवल तकनीक का उपभोक्ता नहीं, बल्कि नवाचार और बौद्धिक संपदा बनाने वाला राष्ट्र भी बन रहा है। मंत्री ने यह भी बताया कि वैश्विक इनोवेशन इंडेक्स (GII) में भारत की रैंकिंग पिछले वर्षों में 81वें स्थान से बढ़कर 38वें स्थान पर पहुंच गई है, जो कि अनुसंधान क्षमता और तकनीकी प्रगति की दिशा में दर्ज की गई एक बड़ी उपलब्धि है।

डॉ. सिंह के अनुसार, 64,000 से अधिक पेटेंट आवेदनों का आँकड़ा यह स्पष्ट संकेत देता है कि भारत वैश्विक स्तर पर शीर्ष नवाचार-शक्तियों की श्रेणी में मज़बूती से प्रवेश कर चुका है। खास बात यह है कि इन आवेदनों में स्थानीय आविष्कारकों की संख्या अधिक है, जो यह बताता है कि देश के भीतर शोध, तकनीकी विकास और समस्या-समाधान की संस्कृति तेज़ी से मजबूत हुई है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह ट्रेंड यह भी दिखाता है कि भारत धीरे-धीरे ‘टेक्नोलॉजी फॉलोअर’ की भूमिका से बाहर निकल कर ‘इनोवेशन लीडर’ बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

भारत में पेटेंट फाइलिंग में आए उछाल के कई कारण बताए जा रहे हैं। स्टार्ट-अप इंडिया जैसी सरकारी योजनाओं ने नए उद्यमियों को फंडिंग, मेंटरशिप और स्केल-अप के अवसर प्रदान किए हैं। देश में कौशल विकास और एप्लाइड साइंसेज़ पर बढ़ते फोकस ने भी नवाचार को नई ऊर्जा दी है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय की नीतियों ने पेटेंट फाइलिंग की प्रक्रिया को आसान बनाकर शोधकर्ताओं और स्टार्ट-अप्स के लिए रास्ते खोले हैं। उद्योग जगत के विशेषज्ञ मानते हैं कि पेटेंट केवल कानूनी अधिकार नहीं, बल्कि आर्थिक मूल्य, तकनीकी बढ़त और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के मूल स्तंभ होते हैं। इसलिए इस वृद्धि का महत्व केवल आँकड़ों तक सीमित नहीं है।

बता दें की, दुनिया में सबसे ज़्यादा पेटेंट फाइल करने वाले देशों में चीन लगातार पहले स्थान पर है, जिसने हालिया आँकड़ों के अनुसार करीब 1.8 मिलियन पेटेंट आवेदन दायर किए हैं। इसके बाद अमेरिका का स्थान आता है, जहाँ लगभग 5 लाख से अधिक पेटेंट दर्ज हुए। तीसरे स्थान पर जापान है, जिसने करीब 4.2 लाख पेटेंट आवेदन फाइल किए। चौथे नंबर पर दक्षिण कोरिया है, जिसके पेटेंट आवेदन लगभग 2.9 लाख रहे। वहीं जर्मनी लगभग 1.3 लाख पेटेंट फाइलिंग किए है। वहीं पेटेंट फाईलिंग के मामले में भारत की गति ने एशियाई देशों का दबदबा बनाने में मदद की है।

यह उपलब्धि भारत की नवाचार यात्रा के लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण है। वैश्विक विश्वसनीयता बढ़ने से भारतीय कंपनियों, शोध संस्थानों और स्वतंत्र आविष्कारकों की पहचान मजबूत होगी। घरेलू क्षमता निर्माण का संकेत देते हुए ये आँकड़े बताते हैं कि भारतीय संस्थान अब अधिक शोध-उन्मुख होते जा रहे हैं। यह प्रगति आत्मनिर्भर भारत, मेक इन इंडिया और ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था की दिशा में नीति-स्तर पर चल रहे प्रयासों से भी जुड़ती है। भारत का पेटेंट इकोसिस्टम जिस गति से बढ़ रहा है, वह संकेत देता है कि आने वाले वर्षों में भारत वैश्विक तकनीकी प्रतिस्पर्धा में और भी प्रमुख भूमिका निभाएगा।

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