ईरान इस समय व्यापक जनआंदोलन की चपेट में है, जहां महंगाई और गिरती जीवन-स्तर से त्रस्त जनता सड़कों पर उतर आई है। शुरुआत में यह विरोध प्रदर्शन देश के पारंपरिक बाजारों और दुकानदारों तक सीमित था, लेकिन अब यह आंदोलन विश्वविद्यालय परिसरों तक फैल चुका है। राजधानी तेहरान सहित कई शहरों में बाजार व्यापारियों, छोटे दुकानदारों और छात्रों ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया है।
रिपोर्टों के अनुसार, विरोध प्रदर्शन कम से कम चार विश्वविद्यालयों तक पहुंच चुके हैं, जहां सैकड़ों छात्रों ने सड़कों पर मार्च करते हुए सरकार विरोधी नारे लगाए। प्रदर्शनकारियों की मुख्य शिकायत देश में लगातार बढ़ती महंगाई, मुद्रा के तेज अवमूल्यन और आम जनता की क्रय शक्ति में आई भारी गिरावट को लेकर है।
प्रदर्शन तेज होने के बीच ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेशेज़्कियान ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर बयान जारी कर कहा कि सरकार ने इन प्रदर्शनों को संज्ञान में लिया है। उन्होंने आंतरिक मंत्री को निर्देश दिया कि वह प्रदर्शनकारियों की मांगों को सुनें। राष्ट्रपति ने लिखा, “लोगों की आजीविका मेरी दैनिक चिंता है। मौद्रिक और बैंकिंग प्रणाली में सुधार तथा लोगों की क्रय शक्ति को सुरक्षित रखने के लिए हमारे एजेंडे में मूलभूत कदम शामिल हैं। मैंने गृह मंत्री को निर्देश दिया है कि वे प्रदर्शनकारियों की वैध मांगों को उनके प्रतिनिधियों से संवाद के माध्यम से सुनें, ताकि सरकार पूरी ताकत से समस्याओं के समाधान के लिए कार्य कर सके और जिम्मेदारी के साथ जवाब दे सके।”
सरकार की प्रवक्ता फातेमेह मोहाजेरानी ने भी संवाद की बात दोहराई। उन्होंने कहा, “हम आधिकारिक रूप से इन प्रदर्शनों को स्वीकार करते हैं … हम उनकी आवाज़ सुनते हैं और जानते हैं कि यह लोगों की आजीविका पर पड़े स्वाभाविक दबाव से उत्पन्न हुआ है।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि प्रदर्शन के नेताओं के साथ बातचीत के लिए एक औपचारिक संवाद तंत्र स्थापित किया जाएगा।
तेहरान के कम से कम चार विश्वविद्यालयों में प्रदर्शनकारियों ने मार्च किया और “रेज़ा शाह अमर रहें” जैसे नारे लगाए, जो 1979 की इस्लामी क्रांति में सत्ता से हटाए गए ईरान के राजवंश के संस्थापक की ओर संकेत करता है। सोशल मीडिया पर भी प्रदर्शनकारियों के समर्थन में सैकड़ों पोस्ट सामने आईं। सोमवार को ईरानी सरकारी टेलीविजन पर प्रसारित फुटेज में मध्य तेहरान में जुटी भीड़ को नारे लगाते देखा गया।
राष्ट्रपति पेशेज़्कियान ने मंगलवार को ट्रेड यूनियनों और बाजार संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक में भरोसा दिलाया कि सरकार उनकी समस्याओं के समाधान के लिए हरसंभव प्रयास करेगी।
ईरान की अर्थव्यवस्था 2018 से लगातार दबाव में है, जब अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने परमाणु समझौते से बाहर निकलते हुए ईरान पर दोबारा कड़े प्रतिबंध लगाए थे। हालात तब और बिगड़ गए जब हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध दोबारा लागू हुए, जो अमेरिका और इज़राइल के साथ बढ़े तनाव के बाद सामने आए।
मंगलवार को निजी मुद्रा विनिमय प्लेटफॉर्म के अनुसार ईरानी रियाल गिरकर 14 लाख रियाल प्रति अमेरिकी डॉलर के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया, जबकि वर्ष की शुरुआत में यह 8,17,500 रियाल था। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, मार्च के अंत में ईरानी नववर्ष शुरू होने के बाद से मासिक वार्षिकीकृत महंगाई दर 36.4 प्रतिशत से नीचे नहीं आई है।
विश्लेषकों का मानना है कि जब तक महंगाई और मुद्रा संकट पर ठोस नियंत्रण नहीं किया जाता, तब तक सरकार के लिए जनआक्रोश को शांत करना एक बड़ी चुनौती बना रहेगा।
यह भी पढ़ें:
विकसित भारत के एजेंडे पर पीएम मोदी की अर्थशास्त्रियों संग प्री-बजट बैठक
चुनाव नजदीक आते ही मंदिरों का दिखावा कर रहीं ममता: वीएचपी
सेना ने गोला-बारूद की आपूर्ति में हासिल की 90 प्रतिशत से अधिक आत्मनिर्भरता!



