इजराइल की दादागिरी: UN के मंच पर फाड़ी मानवाधिकार परिषद की रिपोर्ट  

इजराइल की दादागिरी: UN के मंच पर फाड़ी मानवाधिकार परिषद की रिपोर्ट  

नई दिल्ली। इजराइल ने संयुक्त राष्ट्र(UN) के मंच पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद् की एक वार्षिक रिपोर्ट को फाड़ दी और उसे कूड़ेदान में डाल दिया। दरअसल, इजराइल के राजदूत गिलाद एर्दन ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की रिपोर्ट को इजराइल के खिलाफ और पक्षपाती बताया। उन्होंने रिपोर्ट फाड़ने के बाद कहा कि इसकी सही जगह कूड़ादान है। दरअसल, इजरायल-फिलिस्तीनी संघर्ष पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने महासभा में एक विशेष बैठक बुलाई थी, जहां इसके अध्यक्ष मिशेल बाचेलेट ने सभी सदस्य देशों के सामने वार्षिक रिपोर्ट पेश की।

इस रिपोर्ट में गाजा पर इजरायल के कब्जे के हमले के बाद गठिक की गई एक जांच समिति के निष्कर्ष प्रस्तुत किए गए थे, जिसमें 67 बच्चों, 40 महिलाओं और 16 बुजुर्गों सहित 260 फिलिस्तीनियों की मौत हो गई थी। इस हमले में कई सारे परिवार मारे गए, जिनमें वरिष्ठ डॉक्टर अयमान अबू अल-औफ और उनका परिवार शामिल था। इस यूएनएचआरसी की रिपोर्ट में गाजा पर क्रूर हमलों के लिए इजरायल की निंदा और आलोचना की गई थी। शुक्रवार को महासभा में विशेष सुनवाई के दौरान ही मानवाधिकार परिषद के अध्यक्ष ने सभी सदस्य देशों को जांच कमेटी की वार्षिक रिपोर्ट पेश की। रिपोर्ट में हमास के साथ मई में संघर्ष के बाद स्थापित एक जांच समिति के परिणाम हैं। रिपोर्ट का बड़ा हिस्सा इजरायल की निंदा और आलोचना करता है, मगर इजरायली नागरिकों पर हमास के हमलों की उपेक्षा करता है।

एर्दन ने महासभा को संबोधित करते हुए कहा कि 15 साल पहले अपनी स्थापना के बाद से  ही मानवाधिकार परिषद ने दुनिया के अन्य सभी देशों के खिलाफ 142 की तुलना में 95 बार इजरायल की निंदा की है। उन्होंने आगे कहा कि मानवाधिकार परिषद पूर्वाग्रहों से भरा हुआ है और उसने एक बार फिर से इस रिपोर्ट के माध्यम से साबित किया है। इस रिपोर्ट को फाड़कर और पोडियम पर छोड़कर जाने से पहेल उन्होंने कहा कि इसका एक मात्र जगह कुड़ेदान ही है। उन्होंने कहा कि मैंने आज संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया। और मानवाधिकार परिषद की वार्षिक रिपोर्ट के निराधार, एकतरफा और एकमुश्त झूठे आरोपों के खिलाफ आवाज उठाई। इस साल मानवाधिकार परिषद ने एक बार फिर हम सभी को नीचा दिखाया है। इसने दुनिया भर में ऐसे लोगों को निराश किया है जो मानवाधिकारों के हनन को हर दिन, हर घंटे, हर मिनट सहते हैं लेकिन उनकी आवाज नहीं सुनी जाती है।

Exit mobile version