अमेरिका द्वारा भारतीय वस्तुओं पर 50 प्रतिशत तक टैरिफ लगाए जाने के बीच, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रूस को भारत के साथ व्यापार और निवेश को और गहराई देने का आह्वान किया है। उन्होंने रूसी कंपनियों से स्पष्ट कहा कि केवल व्यापार बढ़ने से संतुलन नहीं बनेगा, बल्कि मॉस्को को भारतीय वस्तुओं के लिए अपना बाज़ार और व्यापक रूप से खोलना होगा। रूस के उप-प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव के साथ एक बैठक में जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों को अपने आर्थिक रिश्तों में नई दिशा तलाशनी होगी। उन्होंने अपने उद्घाटन भाषण में कहा,“अधिक करना और अलग तरीके से करना हमारा मंत्र होना चाहिए।”
उन्होंने व्यापारिक बाधाओं को दूर करने और कनेक्टिविटी को मज़बूत करने पर जोर देते हुए कहा,“टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाएं, लॉजिस्टिक्स में अड़चनों को दूर करना, अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे, उत्तरी समुद्री मार्ग और चेन्नई-व्लादिवोस्तोक गलियारे के माध्यम से कनेक्टिविटी को बढ़ावा देना और सुचारू पेमेंट तंत्र सुनिश्चित करना, ये मुख्य मुद्दे हैं।”
पिछले चार वर्षों में भारत-रूस व्यापार पाँच गुना से अधिक बढ़ा है। 2021 में यह 13 अरब अमेरिकी डॉलर था, जो 2024-25 में 68 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया। इसका मुख्य कारण रूसी हाइड्रोकार्बन का बढ़ा हुआ आयात है। रूसी दूतावास के मुताबिक, पाँच वर्षों में व्यापारिक वृद्धि 700 प्रतिशत रही है। हालाँकि, इस तेज़ी के बावजूद असंतुलन गहराता गया है। भारत का रूस के साथ व्यापार घाटा 2021 में जहाँ 6.6 अरब अमेरिकी डॉलर था, वहीं अब यह लगभग 59 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया है। जयशंकर ने कहा,“इसलिए, हमें इस पर तुरंत ध्यान देने की ज़रूरत है।” मॉस्को बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की शर्तों को विचारार्थ अंतिम रूप दिया है। जयशंकर ने इसे भारत-रूस आर्थिक सहयोग के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
भारत-रूस व्यापार मंच को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा, “एक स्थायी रणनीतिक साझेदारी में एक मज़बूत और टिकाऊ आर्थिक घटक होना ज़रूरी है। इस संदर्भ में, मैंने हमारे व्यवसायों से अधिक व्यापार करने, अधिक निवेश, संयुक्त उद्यमों पर विचार करने और आर्थिक सहयोग के नए आयाम खोलने का आह्वान किया।”
उन्होंने दोनों देशों के बीच समयबद्ध लक्ष्य तय करने, व्यापार मंच और IRIGC कार्य समूहों के बीच मजबूत संबंध बनाने और नवाचार पर आधारित सहयोग को आगे बढ़ाने का सुझाव दिया।
यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ दोगुना कर 50 प्रतिशत कर दिया है। इसमें रूस से भारत द्वारा कच्चे तेल की लगातार खरीद को रोकने के लिए 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क भी शामिल है।
जयशंकर ने वाशिंगटन का नाम लिए बिना स्वीकार किया कि यह वार्ता जटिल भू-राजनीतिक परिस्थितियों में हो रही है। हालांकि उन्होंने विश्वास जताया कि भारत और रूस नेतृत्व स्तर पर निकट और नियमित रूप से जुड़े हुए हैं। तीन दिवसीय रूस यात्रा के दौरान जयशंकर का यह संदेश साफ है कि नई दिल्ली अमेरिकी टैरिफ दबाव के बावजूद अपनी रणनीतिक स्वायत्तता और मॉस्को के साथ समय-परीक्षित साझेदारी को और मजबूत करने के पक्ष में है।
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