भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार, 18 अक्टूबर को चीन की विदेश नीति और नये युग में अंतरराष्ट्रीय संबंध विषय पर सेंटर फार कंटेम्प्ररी चीन स्टडीज के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में अमन और शांति की स्थिति भारत और चीन के बीच सामान्य संबंधों का आधार हैं। हालांकि समय-समय पर कुछ शरारतपूर्ण ढंग से इसे सीमा से जुड़े सवालों के समाधान के साथ जोड़ दिया जाता है।
विदेश मंत्री ने कहा कि पिछले कुछ साल दोनों ही देशों के लिए गंभीर चुनौती का समय था। वर्तमान गतिरोध का जारी रहना भारत या चीन दोनों में से किसी के लिये भी लाभदायक नहीं होगा। आगे उन्होंने कहा कि नई तरह की भाव भंगिमा, निश्चित तौर पर नई प्रतिक्रियाओं के रूप में आएगी। चीन के साथ अधिक संतुलित और स्थिर संबंध के लिये भारत की तलाश विविध क्षेत्रों और विकल्पों की ओर ले गई।
विदेश मंत्री ने कहा कि इसके लिये शर्त बेहद मामूली रही बावजूद इसके 2020 में इसका भी उल्लंघन किया गया। 2020 के घटनाक्रम के मद्देनजर स्वभाविक रूप से ध्यान प्रभावी सीमा सुरक्षा पर गया। 2020 के बाद भारत और चीन के बीच असहमति दूर करने वाली व्यवस्था स्थापित करना आसान नहीं है लेकिन इस कार्य को दरकिनार नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि भारत और चीन के रिश्ते तीन साझी बातों के आधार पर ही स्थायी बन सकती है, जिसमें आपसी सम्मान, संवेदनशीलता और हित शामिल हैं।
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