Jammu-Kashmir Election: बौखलाए आतंकी, 12 दिनों में तीन सरपंच को उतारा मौत के घाट

जम्मू-कश्मीर में चुनावी प्रक्रिया की ​​​सुगबुगाहट​​ महसू​स होने लगी है। हालात को भांपते हुए सुरक्षा एजेंसियों ने भी पंचायत प्रतिनिधियों की सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा नए सिरे से शुरु कर दी है।

Jammu-Kashmir Election: बौखलाए आतंकी, 12 दिनों में तीन सरपंच को उतारा मौत के घाट

​जम्मू-कश्मीर में ग्राम पंचायत की सुगबुगाहट से पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसएआई के दिशा निर्देश पर आतंकियों की बौखलाहट स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही वही| इसी क्रम में आतंकियों ने ​समीर अहमद बट8 मार्च को​​ श्रीनगर से खनमोह ​स्थित ​अपने घर पहुंचे। सायं​ के समय उनका पड़ोसी साकिब अपने एक दोस्त के साथ उससे मिलने आया। जैसे ही समीर कमरे से बाहर आंगन में आए, साकिब और उसके दोस्त ने उनके सीने में दो गोलियां उतार दी। इसके बाद दोनों​​ वहां से फरार हो गए। समीर सरपंच था और साकिब व उसका दोस्त दोनों ही जिहादी। दो दिन बाद शुक्रवार की रात को दक्षिण कश्मीर के आडूरा में भी लगभग समान परिस्थितियों में सरपंच शब्बीर अहमद मारा गया।

गौरतलब है कि 12 दिनों में कश्मीर में तीन पंचायत प्रतिनिधयों को आतंकी मौत के घाट उतार चुके हैं और आने वाले दिनों में ऐसी घटनाओं में बढ़ौत्तरी की तीव्र आशंका हैं, क्योंकि जम्मू-कश्मीर में चुनावी प्रक्रिया की ​​सुगबुगाहट​​ महसूस होने लगी है। हालात को भांपते हुए सुरक्षा एजेंसियों ने भी पंचायत प्रतिनिधियों की सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा नए सिरे से शुरु कर दी है।

आईजी कश्मीर विजय कुमार ने खुद शनिवार को कुलगाम में एक उच्चस्तरीय बैठक में पंच-सरपंचों के सुरक्षा क्वच को मजबूत बनाने की रणनीति को तय किया है। उन्हें जिला मुख्यालयों में सुरक्षित आवासीय सुविधा प्रदान की जा रही है। इसके अलावा क्या करें और क्या न करें, सभी सावधानियों के साथ उनके लिए एक एसओपी भी जारी कर दी गई है।

आतंकी और अलगाववादी हमेशा से ही जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र की मजबूती और चुनावों के खिलाफ रहे हैं। चुनावों में आम लोगों की भागीदारी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कश्मीर पर भारत के स्टैंड को मजबूती देने के साथ ही पाकिस्तान द्वारा चलाए जाने वाले कश्मीर के तथाकथित आजादी के एजेंडे की पोल खोल देते हैं।

पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसएआई कश्मीर में सक्रिय आतंकियों व अलगाववादियों को पहला फरमान चुनाव बहिष्कार को सुनिश्चित बनाने को कहती है। इसके साथ ही आतंकियों द्वारा विभिन्न राजनीतिक दलों से जुड़े नेताओं और कार्यकर्ताओं के अलावा पंच-सरपंचों को निशाना बनाने, उन्हें धमकाने का सिलसिला शुरु हो जाता है।वादी में बीते दो-तीन वर्ष के दौरान लगभग दो दर्जन पंचायत प्रतिनिधियों को आतंकियों ने मौत के घाट उतारा है।

यह भी पढ़ें-

यासीन की पत्नी मुशाल ने उगला जहर, कहा, ‘भारत के साथ पाकिस्तान कूटनीतिक रिश्ते खत्म करे’

Exit mobile version