धर्म, पंथ, देवी- देवताओं का मजाक उड़ाना और उसी बहाने से आस्तिकों की चेष्टा करना यह सिर्फ बहरत में नहीं बल्कि युरोपियन और अमरीकी देशों में भी फैशन बन चूका है। फ़िलहाल तो पेरिस में ओलंपिक के उद्घाटन समारोह में येशु के पात्र के चेष्टा की गई है, जिसके बाद से दुनिया भर से आस्तिक क्रिश्चन समुदाय ने इस समारोह की आलोचना शुरू की है।
येशु के चरित्र में ‘द लास्ट सपर’ यह बेहद महत्वपूर्ण वाक़िया समझा जाता है। जिसमें येशु अपने आखरी भोजन में भविष्य में उनसे धोखा करनेवाले को पहचान लेते है। पेरिस ओलंपिक के उद्घाटन समारोह में जो कार्यक्रम हुआ उसमें येशु के 12 साथी स्त्री-वेश में दिखाए गए, जिसके साथ ही क्रिश्चन समुदाय को अपनी आस्था के साथ खिलवाड़ देख झटका लगा है।
इस नृत्य स्वरुप नाट्य के बाद ओलंपिक के आयोजकों से कोई प्रतिक्रिया या आधिकारिक बयान नहीं आया है। आपको बता दें की 15 वी शताब्दी के महान गणितज्ञ, चित्रकार, शास्त्रज्ञ लिओनार्डो दा विंची ने येशु के जीवन के ‘द लास्ट सपर’ प्रसंग पर चित्र बनाया था जो आज भी दुनिया भर में मशहूर है। इसी तरह उद्घाटन समरोह के नृत्य में बीच में नीले रंग की पोशाक में एक हठीली महिला सिर पर मुकुट पहने बैठी हुई दिखाई देती है और उसके बगल में महिलाओं के कपड़े पहने कुछ लोग दिखाई देते हैं। लोगों का कहना है कि यह दृश्य यीशु के अंतिम भोज जैसा दिखता है।
कई क्रिश्चन आस्तिकों की भावना आहत होने के पीछे येशु की भूमिका करनेवाले और नृत्य में भाग लिए अधिकतर तृतीयपंथीयो का होना भी है। उनका कहना है की इस नृत्य में येशु की भूमिका में किसी समलैंगिक गे व्यक्ति दिखाना खेदपूर्ण है।
इस आलोचना के चलते अब तक इस नृत्य के समर्थन में कोई नहीं आया है। एलन मस्क ने भी इसकी आलोचना की है और महसूस किया है कि यह दुनिया के सभी ईसाइयों का अपमान है। एनएफएल फुटबॉल खिलाड़ी हैरिसन बुटकर ने कहा है, ईश्वर का इस तरह से मजाक उड़ाना उचित नहीं है।
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