दुमका जिले के शिकारीपाड़ा थाना क्षेत्र के अमरपानी गांव की रहने वाली 22 वर्षीय सुनीता मुर्मू नक्सली घटनाओं को अंजाम देने के आरोप में पूर्व में तीन साल तक गिरिडीह जेल में बंद रहने के बाद जमानत पर रिहा हुई थी। उसके खिलाफ बोकारो जिले के महुआटांड़ और खुखरा थानों में आर्म्स एक्ट, विस्फोटक अधिनियम और यूएपीए के तहत कई गंभीर मामले दर्ज हैं।
गत 21 अप्रैल को बोकारो के ललपनिया थाना क्षेत्र में सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ के दौरान सुनीता मुर्मू भागने में सफल रही थी। इस मुठभेड़ में एक करोड़ रुपए के इनामी प्रयाग मांझी सहित आठ नक्सली मारे गए थे।
सुनीता ने आत्मसमर्पण के बाद मीडिया को बताया कि माओवादी संगठन के लोग उसे घर से कोर्ट ले जाने के बहाने पहाड़ की ओर ले गए थे। वहां पहुंचने के बाद उसे पता चला कि वह गलत रास्ते पर आ चुकी है। मुठभेड़ के बाद वह जंगलों में भटकती रही और बाद में ट्रेन से बोकारो पहुंचकर आत्मसमर्पण किया। पुलिस ने सुनीता के आत्मसमर्पण को नक्सल उन्मूलन अभियान में एक बड़ी सफलता बताया है।
राज्य के खूंटी जिले के सायको थाना की पुलिस ने सोमवार को प्रतिबंधित नक्सली संगठन पीएलएफआई (पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया) के दो सदस्यों को गिरफ्तार किया है। उनके पास से अवैध हथियार, जिंदा कारतूस, पीएलएफआई संगठन के पर्चे और मोबाइल फोन बरामद किए गए हैं।
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