कलावरी क्लास की 5वीं पनडुब्बी वगीर सोमवार सुबह नौसेना में शामिल हो गई। इसे सैंड शार्क भा कहा जाता है। नौसेना के अध्यक्ष एडमिरल आर हरिकुमार ने मुंबई के नेवल डॉकयॉर्ड पर वगीर को कमीशंड किया। इसमें 50 लोग एकसाथ ऑपरेशन को अंजाम दे सकते हैं। पानी के भीतर वगीर की रफ्तार 40 किलोमीटर/घंटा है और पानी के ऊपर इसकी रफ्तार 20 किलोमीटर/घंटा है। वगीर 24 महीने की अवधि में नौसेना में शामिल होने वाली तीसरी सबमरीन है। इस पनडुब्बी से भारतीय नौसेना की ताकत में इजाफा होगा।
इससे पहले कलवारी, खंडेरी, करंज और वेला चार सबमरीन को नौसेना में शामिल कर लिया गया है। कलवरी क्लास की पहली सबमरीन 2017 में नेवी को मिली थी। इनका निर्माण मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड मुंबई में मैसर्स नेवल ग्रुप, फ्रांस के सहयोग से हुआ। दोनों कंपनियों के बीच 6 सबमरीन तैयार करने लिए 2005 में करार हुआ था। प्रोजेक्ट-75 के तहत स्कॉर्पीन डिजाइन की कुल 6 स्वदेशी पनडुब्बियां बनाई जानी हैं।
वगीर का नाम सैंड फिश की एक प्रजाति पर रखा गया है, जो इंडियन ओशन की एक घातक समुद्री शिकारी है। इसे साइलेंट किलर भी कहा जाता है। वगीर को 12 नवंबर 2020 को लांच किया गया था। वहीं 1 फरवरी 2022 से वगीर ने समुद्री परीक्षण शुरू किए। वगीर अपने नए अवतार में आज तक की स्वदेशी निर्मित पनडुब्बियों में सबसे कम समय में बनकर तैयार हुई है।
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