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Saturday, September 21, 2024
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जानिए क्या है बजरंग दल का इतिहास, जिसे बैन करने का वादा कर रही है कांग्रेस

साल 1984 में बजरंग दल की स्थापना हुई।

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कर्नाटक विधानसभा चुनाव में इस बार सत्तारूढ़ दल बीजेपी और विपक्षी कांग्रेस के बीच दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है। दोनों दल एक-दूसरे को घेरने के लिए कोई मौका नहीं छोड़ रहे। इस बीच मंगलवार को कांग्रेस की एक चूक ने बीजेपी को मौका दे दिया है। दरअसल कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में पीएफआई के साथ बजरंग दल पर बैन लगाने की बात कही। बीजेपी ने इस मुददें को भगवान हनुमान से जोड़ दिया और इसे बजरंग बली का अपमान बताया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसपर कटाक्ष करते हुए कहा कि कांग्रेस ने पहले भगवान राम को बंद किया, अब हनुमान की पूजा करने वालों को भी बंद करना चाहती है। चलिए जानते है बजरंग दल का इतिहास।

बजरंग दल को एक महत्वपूर्ण हिन्दुत्व संगठन माना जाता है। इसकी स्थापना 8 अक्टूबर, 1984 को अयोध्या में हुई थी। विनय कटियार बजरंग दल के संस्थापक-अध्यक्ष हैं। ऐसा माना जाता है कि श्रीराम जानकी रथ यात्रा के दौरान ही इसकी स्थापना हुई थी। इस दल का मुख्य मकसद लोगों तक हिंदुत्व को पहुंचाना था। बाद में इसके साथ कई युवा और साधु-संत भी जुड़ते गए। धीरे-धीरे इसकी लोकप्रियता पूरे देश में फैल गई।

बजरंग दल की तरफ से हर साल देश भर में कार्यकर्ताओं के ट्रेनिंग करवाई जाती है। साथ ही हिंदू धर्म के लिए देशभर में इसके कार्यकर्ता जागरुकता अभियान करते हैं। साथ ही इसके कार्यकर्ता सामाजिक कार्यों में लगातार हिस्सा लेते हैं। इसके अलावा बजरंग दल को गोवंश को बचाने को लेकर भी जाना जाता है। इसमें 22 लाख कार्यकर्ता और 25 लाख से अधिक सदस्य शामिल हैं।

बजरंग दल एक दक्षिणपंथी संगठन है। विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के साथ मिलकर, संगठन ने भारत में इस्लामी आतंकवाद के खिलाफ आवाज उठाई है और घोषणा की है कि वे पूरे देश में जागरूकता अभियान चलाएंगे। उन्होंने कहा है कि इस्लामी आतंकवादी भारत में आम जनता के बीच छिपे हुए हैं और उन्हें बेनकाब करना चाहते हैं। 

बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद 1992 में राव सरकार द्वारा बजरंग दल पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, लेकिन एक साल बाद प्रतिबंध हटा लिया गया था। ह्यूमन राइट्स वॉच (एचआरडब्ल्यू) के अनुसार, बजरंग दल 2002 में गुजरात में मुसलमानों के खिलाफ दंगों में शामिल था।

भूकम्प, बाढ़ जैसी आपदा के वक्त सेवा कार्यों में भी बजरंग दल के कार्यकर्ता हिस्सा लेते हैं। दल की वेबसाइट के मुताबिक दैवीय आपदा पर सहायता शिविर, दुर्घटना के समय सहायता के लिए बजरंग दल हमेशा तत्पर रहता है। संगठन से जुड़े कार्यकर्ता अलग-अलग जगहों पर रक्त दान शिविर का भी आयोजन करते रहते हैं। 2014 में बजरंग दल ने एक ही दिन 82,000 यूनिट रक्तदान कराने का दावा किया था। वृक्षारोपण, जल संरक्षण, स्वास्थ शिविर का भी आयोजन संगठन करता है। 

हालांकि कर्नाटक में बजरंग दल पहली बार चर्चा में नहीं है, इससे पहले भी यह दल अलग-अलग कारणों से सुर्खियों में रहा है। तटीय कर्नाटक क्षेत्र में अक्तूबर 2008 में चर्चों में हुए हमलों में संगठन का नाम आया था। इसके बाद, बीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने हमलों की जांच के लिए न्यायमूर्ति बीके सोमशेखर की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया था। सितंबर 2009 में तत्कालीन येदियुरप्पा सरकार के समक्ष रखी गई एक अंतरिम रिपोर्ट में आयोग ने बजरंग दल जैसे दक्षिणपंथी गुटों को शामिल होने के बात कही थी।

लेकिन कर्नाटक में बजरंग दल सबसे ज़्यादा खबरों में रहता है। और इसकी दो बड़ी वजह हैं। पहला कारण है, कर्नाटक में ईसाई मिशनरियों का बढ़ता प्रभाव। राज्य में ईसाई मिशनरियों के बढ़ते प्रभाव की वजह से राज्य में बजरंग दल भी अब काफी सक्रिय हो गया है। कर्नाटक में बजरंग दल के साढ़े चार हजार से ज्यादा अखाड़े हैं और 38 हज़ार से ज्यादा सक्रिय सदस्य हैं। बजरंग दल इस धर्म परिवर्तन के षडयंत्र के खिलाफ है। इस वजह से ईसाई मिशनरियों और बजरंग दल के बीच टकराव भी देखने को मिला है।

बजरंग दल भारत की हिंदी पट्टी में हिन्दुओं का एक दमदार और प्रभावशाली संगठन तो है ही, इसके साथ ही संगठन ने कर्नाटक की राजनीतिक और सामाजिक पृष्ठभूमि में भी अपनी जोरदार मौजूदगी दर्ज कराई है। इसके अलावा बजरंग दल ने पूर्वोत्तर और तमिलनाडु में भी अपनी पहुंच बनाई है। बजरंग दल प्रखर हिन्दूवादी संगठन है। इसका उद्देश्य हिन्दुत्व को घर घर पहुंचाना है। इस संगठन का सूत्रवाक्य सेवा, संस्कृति और सुरक्षा है। बजरंग दल पिछले कुछ वर्षों में युवाओं के बीच तेजी से लोकप्रिय हुआ है। बजरंग दल का दावा है कि इस दल के वर्तमान में लगभग 27 लाख सदस्य हैं। बजरंग दल की माने तो देश भर में इसके लगभग 2,500 अखाड़े चल रहे हैं।

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