ग्लेशियर पिघलने से तबाही, खत्म हो सकते हैं पानी के स्रोत

पैंगोंग झील 4,350 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह दुनिया की सबसे बड़ी खारे पानी की झील है, जिसकी सुंदरता लोगों को आकर्षित करती है। लगभग 160 किमी तक फैली, पैंगोंग झील का एक तिहाई हिस्सा भारत में और अन्य दो-तिहाई चीन में स्थित है। हर साल कई सैलानी सिर्फ इसे ही देखने लद्दाख आते हैं।

ग्लेशियर पिघलने से तबाही, खत्म हो सकते हैं पानी के स्रोत

​ग्लोबल वर्मिंग और पर्यावरण को लेकर कश्मीर विवि के जियोइनफॉर्मेटिक्स विभाग ने यह स्टडी की है। रिसर्च में अहम भूमिका निभाने वाले असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. इरफान रशीद ने बताया कि हमने 87 ग्लेशियरों के वर्ष 1990 से 2020 तक उपलब्ध सैटेलाइट डेटा का अध्ययन किया है। इसमें पता चला है कि ग्लेशियरों के पिघलने से पैंगोंग समेत कई झीलों का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है।इससे झीलें फैल रही हैं और उनके फटने का खतरा बढ़ता जा रहा है।अध्ययन के मुताबिक ग्लेशियर में प्रति वर्ष 0.23प्रतिशत की कमी आ रही है। प्रोफेसर के अनुसार पैंगोंग झील इन ग्लेशियरों से भरती है। यदि वे गायब हो जाते हैं, तो इससे झील में भी पानी खत्म हो जाएगा और ये भी गायब हो जाएगी।

स्थानीय निवासी दोर्जे अंगचुक ने बताया कि कई किसान पहाड़ों में बर्फ और ग्लेशियरों से निकलने वाले पानी का उपयोग सिंचाई के लिए करते हैं।इससे वह खेती कर पाते हैं।लद्दाख में पहले से ही पानी की कमी है। अगर, ग्लेशियर भी कम हो गए तो डर है कि पानी की किल्लत कई गुना बढ़ जाएगी।दोर्जे ग्लेशियरों के पिघलने से पर्यावरण और लद्दाख की अर्थव्यवस्था को भी खतरा है, जो पिछले कई दशकों से पर्यटकों पर निर्भर रही है। पैंगोंग झील 4,350 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह दुनिया की सबसे बड़ी खारे पानी की झील है, जिसकी सुंदरता लोगों को आकर्षित करती है लगभग 160 किमी तक फैली, पैंगोंग झील का एक तिहाई हिस्सा भारत में और अन्य दो-तिहाई चीन में स्थित है। हर साल कई सैलानी सिर्फ इसे ही देखने लद्दाख आते हैं।

अध्ययन में सहयोगी रहे प्रोफेसर इरफान ने बताया कि हमें इस मुसीबत से बचने के लिए कुछ उपाय करने होंगे। सबसे पहले पूरे क्षेत्र में जारी गतिविधियों, लोगों की भीड़, मशीनों के इस्तेमाल, बढ़ते कार्बन उत्सर्जन को रोकना होगा। पेट्रोल-डीजल के बजाय सौर ऊर्जा और CNG का इस्तेमाल करना होगा। हमें पर्यावरण के हिसाब से काम करना होगा। लद्दाख के प्रशासनिक सचिव रविंदर कुमार ने कहा कि सरकार अगले पांच साल में क्षेत्र के ईकोलोजिकल कंजर्वेशन को प्राप्त करने की योजना बना रही है। इसके तहत, हम नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (NTPC) की मदद से ग्रीन हाइड्रोजन स्थापित करेंगे। यदि यह सफल रहा, तो पायलट परियोजना को बढ़ाया जाएगा और परिवहन क्षेत्र को हरा-भरा बनाने में इसका मजबूत प्रभाव पड़ेगा।
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