लातूर में 103 किसानों की जमीन पर वक्फ बोर्ड के दावे के बाद हंगामा मचा हुआ है। इस पर मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे ने वक्फ बोर्ड प्रबंधन की आलोचना करते हुए सरकार से अपील की है। राज ठाकरे ने केंद्र सरकार से विपक्ष के विरोध के आगे झुके बिना वक्फ बोर्ड बिल को संसद के इसी सत्र में पारित करने की मांग की है। इसके अलावा, उन्होंने राज्य सरकार से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया है कि अहमदपुर तालुका के तालेगांव के किसानों के साथ कोई अन्याय न हो।
राज ठाकरे ने सोशल मीडिया पर अपना स्पष्ट रुख पेश किया है। राज ठाकरे ने लिखा है कि, लातूर जिले के अहमदपुर तालुका के तालेगांव गांव से खबर चौंकाने वाली है। गांव की कुल कृषि भूमि में से लगभग 75% कृषि भूमि पर वक्फ बोर्ड का दावा है। इससे 103 किसानों की आजीविका खतरे में है। भले ही राज्य सरकार ने कहा हो कि हम किसी भी किसान के साथ अन्याय नहीं होने देंगे, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। सवाल इस जमीन का नहीं है, सवाल यह है कि वक्फ बोर्ड उस आतंक पर कैसे लगाम लगाएगा जो वह कई वर्षों से मनमाने प्रबंधन से लोगों पर ढा रहा है?
कुछ महीने पहले केंद्र सरकार ने वक्फ एक्ट में संशोधन का बिल संसद में पेश किया था, मुस्लिम बहुल विपक्षी दलों ने संसद में हंगामा किया था और बिल को पुनर्विचार के लिए संसदीय समिति के पास भेज दिया गया था। राज ठाकरे ने महाविकास अघाड़ी के घटक दलों से कहा कि महाविकास अघाड़ी में शामिल दलों का रुख इस संशोधित विधेयक के विरोध में है।
लातूर जिल्ह्यातील अहमदपूर तालुक्यातील, तळेगाव गावातील बातमी धक्कादायक आहे. गावातील एकूण शेतजमीनीपैकी, जवळपास ७५% शेतजमिनीवर वक्फ बोर्डाने दावा सांगितला आहे… यामुळे १०३ शेतकऱ्यांचं जगणंच धोक्यात आलं आहे. यावर जरी राज्य सरकारने सांगितलं असलं की आम्ही कुठल्याही शेतकऱ्यावर अन्याय…
— Raj Thackeray (@RajThackeray) December 9, 2024
यह भी पढ़ें:
दिल्ली विधानसभा चुनाव: मनीष सिसोदिया की सीट पपड़गंज से चुनाव लड़ेंगे अवध ओझा!
महाराष्ट्र विधानसभा: निर्विरोध चुने गए विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर
SYRIA: तख्तापलट के बाद अमेरिका-इजरायल का सीरिया पर हमला, गोलन हाइट्स के बचाव में उतरी इजरायली सेना
राज ठाकरे ने अपने पोस्ट के जरिए लोगों के सामने यह बात रखी है कि सुधार क्या करेंगे। कोई संपत्ति वक्फ बोर्ड की है या नहीं, यह तय करने का अधिकार छीन लिया जाएगा; आपको एहसास होगा कि वक्फ बोर्ड की मनमानी से यह कितना जरूरी है। कोई संपत्ति वक्फ संपत्ति है या सरकारी भूमि, इसका निर्णय वक्फ न्यायाधिकरण द्वारा किया जाता है और स्थानों पर अतिक्रमण किया गया है। अगर इस नए बिल को मंजूरी मिल जाती है तो कलेक्टर फैसला सुनाएंगे। वक्फ बोर्ड में मुस्लिम महिलाओं को शामिल किया जाना चाहिए और गैर-मुस्लिम समुदाय का भी प्रतिनिधित्व होना चाहिए। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के पास किसी भी वक्फ बोर्ड के मामलों का ऑडिट करने का अधिकार रहेगा और अब से, यदि कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति वक्फ बोर्ड को देना चाहता है, तो उसे पहले की तरह निविदा समझौते के बजाय एक लिखित समझौते में प्रवेश करना होगा। जो उसे एक कानूनी ढांचा देगा। राज ठाकरे ने साफ किया है कि इन सुधारों में विरोध करने जैसा कुछ भी नहीं है।
प्रधान मंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल के दौरान, धारा 370 को हटाने, तीन तलाक पर प्रतिबंध लगाने और राम मंदिर बनाने के लिए कदम उठाए गए। जिस पर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना को गर्व था और इसीलिए हमने 2024 के लोकसभा चुनाव में मोदी का समर्थन किया। मैं केंद्र सरकार से अनुरोध करता हूं कि विपक्ष के किसी भी विरोध के आगे झुके बिना इस विधेयक को संसद के इसी सत्र में पारित किया जाए। और हां, राज्य सरकार को यह भी देखना चाहिए कि अहमदपुर तालुका के तालेगांव में किसानों के साथ कोई अन्याय नहीं होगा, उनकी जमीनें वक्फ के गले नहीं जायेंगी। इस अवसर पर मैं आज देश के समस्त वक्फ बोर्डों को एक बात से अवगत कराना चाहता हूं कि आजादी के बाद विनोबा भावे ने ‘भूदान आंदोलन’ चलाया था जिसमें देश के हिंदुओं की लाखों एकड़ जमीन सरकार को वापस की गई थी। ताकि भूमिहीनों को खेती के लिए जमीन मिल सके। यह भूमिहीनों के लिए बलिदान था, क्योंकि यह देश के लिए बलिदान था। ऐसा त्याग या उदारता वक्फ बोर्ड को भी दिखानी चाहिए। लोगों की जमीन पर लगातार कब्जे का दावा करने के बजाय वक्फ बोर्ड को अपने नियंत्रण वाली जमीन सरकार को लौटाकर अपनी राष्ट्रवादिता का परिचय देना चाहिए।