तापमान वृद्धि का कहर!: भोपाल नेशनल पार्क में पशुओं में भी चढ़े पारा का असर

एसी, कूलर, पंखे जैसे एसी, कूलर, पंखे इंसानों को गर्मी से ठंडक पहुंचाने के काम आते हैं, वैसे ही इन उपकरणों का इस्तेमाल जानवरों के लिए भी किया जाता है। भोपाल में वन विहार राष्ट्रीय उद्यान ने जानवरों के लिए ये आधुनिक सुविधाएं प्रदान की हैं।

तापमान वृद्धि का कहर!: भोपाल नेशनल पार्क में पशुओं में भी चढ़े पारा का असर

Wreck of temperature rise!: Effect of mercury in animals in Bhopal National Park

बढ़ती गर्मी के कारण लोगों का जीना दूभर किया है|लू की समस्या बढ़ने पर शासन स्तर पर तरह-तरह के फैसले लिए जा रहे हैं। स्कूल को जल्द भरने की अपील की गई है। इसलिए दोपहर के सत्र में घर से निकलते समय स्वास्थ्य का ध्यान रखने की हिदायत दी गई है। लेकिन, गर्मी की यह समस्या सिर्फ इंसानों को ही नहीं, बल्कि जीव जगत के सभी जानवरों को हो रही है। इसलिए हर जगह जूलॉजिकल म्यूजियम में इस बात का खास ख्याल रखा जा रहा है।
एसी, कूलर, पंखे जैसे एसी, कूलर, पंखे इंसानों को गर्मी से ठंडक पहुंचाने के काम आते हैं, वैसे ही इन उपकरणों का इस्तेमाल जानवरों के लिए भी किया जाता है। भोपाल में वन विहार राष्ट्रीय उद्यान ने जानवरों के लिए ये आधुनिक सुविधाएं प्रदान की हैं।
जानवरों को गर्मी से पीड़ित होने से बचाने के लिए उनके पिंजरों में भरपूर पानी की व्यवस्था की गई है। भोपाल का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। जंगली जानवरों के लिए उनके पिंजरों में पंखे और कूलर लगाए गए हैं। बाड़े को ठंडा रखने के लिए पिंजरों के ढक्कनों पर घास भी डाली जा रही है।
वन विहार नेशनल पार्क की निदेशक पद्म प्रिया बालकृष्ण ने कहा, ‘तापमान बढ़ने से वन्यजीवों को लू का प्रकोप झेलना पड़ रहा है। पशुओं को गर्मी से निजात दिलाने के लिए यहां इंतजाम किए गए हैं। पिंजरे में बंद पशुओं के लिए वाटर कूलर, पंखे की व्यवस्था की गई है। पार्क में पानी की भरपूर व्यवस्था रखी गई है। तालाबों पर हरी जालियां लगाई गई हैं और शेड भी बनाए गए हैं।
“लंगूर, मोर, सांभर, हिरण, जंगली सूअर जैसे जानवर झुंड में रहते हैं। इसलिए उनके लिए जगह-जगह पानी की व्यवस्था की गई है। भालू के आहार में भी बदलाव किया गया है। उन्हें पानी वाले फल दिए जा रहे हैं”, बालकृष्ण ने आगे बताया। गर्मियों में बाघों को उनके घने बालों की वजह से बहुत परेशानी होती है। वन विहार में फिलहाल आठ बाघ हैं। उनके लिए पानी के गड्ढे खोदे गए हैं। इससे खुले में विचरण करने वाले बाघों को पानी के लिए भटकना नहीं पड़ेगा।
पशुओं को गर्मी से बचाने के लिए प्रशासन उनके खान-पान का भी ध्यान रख रहा है। मल्च पशुओं को खिलाने के लिए पोषक तत्वों के अतिरिक्त है। हर मौसम में जानवरों के लिए अलग-अलग योजनाएं होती हैं। समर शेड्यूल भी तैयार कर लिया गया है। हालांकि, एक ही समय में सभी सुविधाएं प्रदान नहीं की जाती हैं। जैसे ही गर्मी बढ़ती है, उन्हें सुविधाएं प्रदान की जाती हैं”, प्रशासन को सूचित किया।
बिरसा मुंडा अभयारण्य में भी यही प्रयोग पशुओं को गर्मी से बचाने के लिए बिरसा मुंडा अभयारण्य के प्रबंधन ने एयर कूलर की व्यवस्था की है|इन पशुओं को मौसमी फल और मल्टीविटामिन भी दिए जा रहे हैं। साथ ही इन जानवरों के लिए शेड और पानी की भी व्यवस्था की गई है।
इस संबंध में बोलते हुए बिरसा मुंडा अभ्यारण के पशु चिकित्सक डॉ. ओ.पी. साहू ने कहा, उगते सूरज की चिलचिलाती धूप का असर नागरिकों के साथ-साथ पशुओं पर भी पड़ना शुरू हो गया है। हमने उन्हें इस गर्मी से बचाने के लिए पूरे अभयारण्य में एयर कूलर लगाए हैं। जगह-जगह पानी की भी व्यवस्था की गई है। इस जानवर को सीधी धूप से बचाने के लिए हमने एक शेड भी बनाया है।
यह भी पढ़ें-

राहुल गांधी की 2 साल की सजा बरकरार, कोर्ट ने खारिज की याचिका

Exit mobile version