उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में फर्जी और मानक के अनुरूप न पाए गए मदरसों के खिलाफ प्रशासन ने कड़ी कारवाई शुरू कर दी है। आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) की शिकायत के आधार पर जिले के 22 थाना क्षेत्रों में 219 मदरसा संचालकों पर मुकदमे दर्ज किए गए हैं।
दरअसल यह मामला 2009-10 से चला आ रहा था, जब बिना भौतिक सत्यापन के कई मदरसों को मान्यता दी गई थी और उन्हें सरकारी अनुदान भी प्राप्त हुआ था। 2017 में जब इस मामले की शिकायत शासन तक पहुंची, तो इसकी गहराई से जांच शुरू की गई। विशेष जांच दल (एसआईटी) की विस्तृत जांच में सामने आया कि जिले में 313 मदरसे मानकों पर खरे नहीं उतरे। इनमें से 219 मदरसे पूरी तरह फर्जी पाए गए, यानी ये केवल कागजों पर ही मौजूद थे। इन मदरसों के संचालकों ने जाली दस्तावेजों के जरिए सरकारी अनुदान प्राप्त किया था।
ईओडब्ल्यू के निरीक्षक कुंवर ब्रम्ह प्रकाश सिंह की तहरीर पर सबसे पहला मुकदमा कंधरापुर थाने में दर्ज किया गया। इसके बाद जिले के 22 थाना क्षेत्रों में कुल 219 मदरसा संचालकों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए। जिले के कुछ प्रमुख थाना क्षेत्रों में दर्ज मुकदमों की संख्या इस प्रकार है:
- फूलपुर – 41
- पवई – 34
- दीदारगंज – 24
- अहरौला – 25
- मुबारकपुर – 15
- अतरौलिया – 13
- जीयनपुर – 10
- निजामाबाद – 5
आजमगढ़ के पुलिस अधीक्षक हेमराज मीणा ने बताया कि इस घोटाले में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कारवाई की जाएगी। “हमारी जांच जारी है और सभी आरोपियों को चिन्हित किया जा रहा है। सरकारी धन के गबन और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अनुदान लेने वालों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।” – एसपी हेमराज मीणा
इस कारवाई के बाद जिले में हड़कंप मचा हुआ है। कई आरोपी संचालक फरार बताए जा रहे हैं, जबकि कुछ पर पुलिस की कड़ी नजर है। सरकारी अनुदान की हेराफेरी को लेकर पहले भी कई मामले सामने आए हैं, लेकिन इस बार की कारवाई में बड़ी संख्या में फर्जी मदरसे उजागर हुए हैं। प्रशासन अब इन मामलों को फास्ट ट्रैक कोर्ट में ले जाने की योजना बना रहा है, ताकि दोषियों को जल्द से जल्द सजा दिलाई जा सके।
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