अपने ज़माने की मशहूर अदाकारा ममता कुलकर्णी किसी परिचय की मोहताज नही हैं|1990 से 1999 के बीच में वो लोगों के दिलों पर राज किया करती थीं| ममता कुलकर्णी ने बॉलीवुड की बहुत सारी फिल्मों में काम किया है| हालांकि लंबे समय से उन्होंने फिल्मों से दूरी बना रखी थी| अब उनको लेकर एक चौकाने वाली खबर आ रही है| चकाचौंध की दुनिया को अलविदा कर मशहूर अदाकारा ममता कुलकर्णी ने सन्यास ले लिया है और वे अब महामंडलेश्वर बन गई हैं|
प्रयागराज के महाकुंभ में किन्नर अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी डॉक्टर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी और जूना अखाड़ा की महामंडलेश्वर स्वामी जय अंबानंद गिरी के सानिध्य में ममता कुलकर्णी महामंडलेश्वर बनीं हैं| अब ममता कुलकर्णी ने संन्यास धारण कर लिया है| उन्होंने महाकुंभ के दौरान किन्नर अखाड़े से दीक्षा प्राप्त की है|
दरअसल, सनातन धर्म में संन्यासी परंपरा आज की नही, बल्कि सदियों पुरानी है. सनातन धर्म में अलग-अलग साधु संत होते हैं| सनातन धर्म में सबसे बड़े महंत शंकराचार्य माने जाते हैं| सनातन धर्म में शंकराचार्य सबसे सर्वोपरि होते हैं. शंकराचार्य के बाद नंबर आता है महामंडलेश्वर का| महामंडलेश्वर का पद साधु संतों के जो 13 अखाड़े हैंं उनमें होता है| अखाड़ों में महामंंडलेश्वर का पद सबसे बड़ा माना जाता है| शंकराचार्य के बाद महामंडलेश्वर ही सबसे श्रेष्ट माने जाते हैं|
सबसे पहले महामंडलेश्वर पद के लिए साधु संत का चयन किया जाता है| चयन करने के बाद उन्हें संन्यास की दीक्षा दी जाती है| यहां संन्यास की दीक्षा का मतलब है कि जिनको महामंडलेश्वर पद के लिए चुना जाता है, उनका उन्हीं के हाथों पिंडदान कराया जाता है| उनके पितरों का पिंडदान भी इसमें शामिल होता है|
वही, दूसरी ओर उनकी शिखा यानी चोटी रखी जाती है| उनकी शिखा को अखाड़े में काटा जाता है| इसके बाद उन्हें दीक्षा प्रदान की जाती है| इसके बाद महामंडलेश्वर का पट्टाभिषेक किया जाता है| पट्टाभिषेक पूजन बड़ी ही विधि से किया जाता है| महामंडलेश्वर का पट्टाभिषेक दूध, घी, शहद, दही, शक्कर से बने पंचामृत से किया जाता है|. सभी 13 अखाड़ों के साधु संत महामंडलेश्वर को पट्टा पहनते हैं|
महामंडलेश्वर बनने के लिए चाहिए ये योग्यता: महामंडलेश्वर बनने के लिए शास्त्री, आचार्य होना आवश्यक है| जिसका महामंडलेश्वर के लिए चुनाव हुआ हो उसके पास वेदांत की शिक्षा होनी चाहिए| महामंडलेश्वर के लिए किसी मठ से सबंध होना चाहिए| जिस मठ से महामंडलेश्वर बनने वाले का सबंध हो वहां जनकल्याण के काम होने चाहिए|
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