भारतीय कानून में मैरिटल रेप कानूनी अपराध नहीं है| हालांकि, इसे अपराध घोषित करने की मांग को लेकर कई संगठनों की ओर से लंबे वक्त से मांग चल रही है| पिछले साल अगस्त में केरल हाईकोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा था कि ‘भारत में मैरिटल रेप के लिए सजा का प्रावधान नहीं है, लेकिन इसके बावजूद ये तलाक का आधार हो सकता है|’ हालांकि, केरल हाईकोर्ट ने भी मैरिटल रेप को अपराध मानने से इनकार कर दिया|
इस सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, यौन हिंसा से पीड़ित 45 प्रतिशत शादीशुदा महिलाओं के शरीर पर किसी न किसी तरह के जख्म के निशान हैं| 17 प्रतिशत महिलाएं तो गहरे घाव, हड्डियां और दांत तोड़ने जैसी ज्यादतियों को भी बर्दाश्त कर चुकी हैं| वहीं, 10 प्रतिशत ऐसी हैं, जिन्हें जलाया भी गया है|
ये कुछ आंकड़े हैं जो देश में शादीशुदा महिलाओं की स्थिति को बयां करते हैं. ये आंकड़े और किसी के नहीं, बल्कि सरकार के ही हैं. ये सारे आंकड़े नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 (NFHS-5) की ताजा रिपोर्ट में सामने आए हैं| इस रिपोर्ट में ये भी सामने आया है कि करीब14 फीसदी महिलाओं ने अपने पूर्व पति की यौन हिंसा का सामना किया है|
यह वो आंकड़े हैं जो न सिर्फ चौंकाते हैं, बल्कि एक काले सच को भी सामने रखते हैं| इतने आंकड़े सामने होने के बावजूद भारत उन 34 देशों में शामिल है, जहां मैरिटल रेप को लेकर कोई कानून नहीं हैं| मैरिटल रेप को अपराध बनाने की मांग को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर हुई थी| इस पर सालों सुनवाई हुई और तीन जजों की बेंच में से एक जज इसके खिलाफ रहे|अब ये मामला सुप्रीम कोर्ट में जा सकता है|
यह भी पढ़ें-
BJP नेता मोहसिन रजा बोले: कोर्ट का होगा पालन,उपद्रव पर होगी कार्रवाई ?