24 C
Mumbai
Sunday, November 24, 2024
होमदेश दुनिया'मौलवियों को वेतन तो हमें क्यों नहीं? केजरीवाल के आवास पर पुजारियों...

‘मौलवियों को वेतन तो हमें क्यों नहीं? केजरीवाल के आवास पर पुजारियों का धरना

दिल्ली वक्फ बोर्ड की पंजीकृत करीब 185 मस्जिदों के 225 इमाम और मुअज्जिनों को तनख्वाह दी जाती है।

Google News Follow

Related

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निवास के बाहर 7 फरवरी, मंगलवार को हजारों की तादात में पुजारियों ने धरना प्रदर्शन किया। पुजारियों का आरोप है कि मस्जिद के मौलानाओं को जिस तरह से सरकार सैलरी देती है तो फिर उन्हें सैलरी क्यों नहीं मिलती। भाजपा मंदिर प्रकोष्ठ ने मंदिर के पुजारियों की इस मांग को लेकर विरोध दर्ज किया। धरने में शामिल साधु-संत ने हनुमान चालीसा का पाठ भी किया।

इस मौके पर भाजपा मंदिर प्रकोष्ठ के अध्यक्ष करनैल सिंह ने कहा कि जब हिंदुओं के टैक्स के पैसे से मौलवियों को वेतन मिल सकता है तो फिर हिंदुओं को भी मिलना चाहिए। मंदिर के पुजारियों को भी मानदेय मिलना चाहिए। मानदेय अर्थात किसी कार्य या सेवा के बदले दिया जाने वाला धन। पुजारियों ने कहा कि दिल्ली सरकार जब तक पुजारियों को सैलरी नहीं देगी और सनातन धर्म की रक्षा के लिए काम नहीं करेगी, तब तक इसी तरह धरना-प्रदर्शन जारी रहेगा।

दरअसल, दिल्ली की मस्जिदों में इमामों और मुअज्जिनों की सैलरी का मुद्दा इससे पहले भी उठ चुका है। दिल्ली में हुए एमसीडी चुनावों के दौरान बीजेपी ने इसे मुद्दा बनाया था। वहीं साल 2021 में दिल्ली के विभिन्न मंदिरों में पुजारियों को वेतन देने की माँग को लेकर बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने सीएम अरविंद केजरीवाल के घर के सामने प्रदर्शन किया था। बीजेपी ने माँग की थी कि दिल्ली के मंदिरों के पुजारियों को उचित वेतनमान दिया जाए।

बता दें कि दिल्ली वक्फ बोर्ड की पंजीकृत करीब 185 मस्जिदों के 225 इमाम और मुअज्जिनों को तनख्वाह दी जाती है। इमाम को 18 हजार रुपये और मुअज्जिनों को 14 हजार रुपये के हिसाब से हर महीने दिए जाते हैं। जबकि दिल्ली वक्फ बोर्ड में अनरजिस्टर्ड मस्जिदों के इमामों को 14 हजार और मुअज्जिनों को भी 12 हजार रुपये प्रति माह का मानदेय मिलता है। बता दें कि मस्जिद के इमामों को सैलरी वक्फ बोर्ड के द्वारा जाती है। वहीं दिल्ली, हरियाणा और कर्नाटक में मस्जिदों के इमाम को वक्फ बोर्ड सैलरी देता है।

इस मुद्दे को पिछले साल भाजपा सांसद प्रवेश साहिब सिंह वर्मा ने उठाया था। और मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर मस्जिदों के मौलवियों की तरह ही मंदिर के पुजारियों और गुरुद्वारा के ग्रंथियों को भी तनख्वाह देने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि संविधान धर्मनिरपेक्ष है। यहाँ टैक्स देनेवाले सभी है तो किसी एक धार्मिक वर्ग पर खर्च नहीं करना चाहिए। अर्थात पुजारियों को भी वेतन मिलना चाहिए।

ये भी देखें 

ठाणे छोड़िए, वर्ली में जीत गए तो भी आदित्य ठाकरे को झटका लगेगा – सचिन अहीर

लेखक से अधिक

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.

हमें फॉलो करें

98,295फैंसलाइक करें
526फॉलोवरफॉलो करें
195,000सब्सक्राइबर्ससब्सक्राइब करें

अन्य लेटेस्ट खबरें