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Wednesday, December 10, 2025
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आयात-निर्यात घोटाले की आरोपी मोनिका कपूर अमेरिका से कि गई प्रत्यर्पित!

दो दशकों बाद सफलता...

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केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को 23 साल पुराने एक बड़े आर्थिक अपराध मामले में महत्वपूर्ण सफलता मिली है। आयात-निर्यात घोटाले की आरोपी मोनिका कपूर को अमेरिका से भारत प्रत्यर्पित कर लाया गया है। सीबीआई की टीम उसे हिरासत में लेकर भारत ला रही है और उसे जल्द ही सम्बंधित अदालत में पेश किया जाएगा। सीबीआई की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है, “दो दशक लंबे प्रयासों के बाद, वांछित आरोपी मोनिका कपूर को अमेरिका से सफलतापूर्वक प्रत्यर्पित किया गया है।”

रिपोर्ट के अनुसार, मोनिका ओवरसीज मोनिका कपूर की मालकिन थी, जिसने अपने भाइ राजन खन्ना और राजीव खन्ना के साथ मिलकर फर्जी दस्तावेज बनवाकर एक बड़ा आयात-निर्यात घोटाला किया। फर्जी शिपिंग बिल, चालान और बैंक सर्टिफिकेट्स के आधार पर उन्होंने 6 रिप्लेनिशमेंट लाइसेंस हासिल किए, जिससे उन्हें 2.36 करोड़ रुपये मूल्य का ड्यूटी-फ्री सोना आयात करने की अनुमति मिली।

बाद में इन लाइसेंसों को अहमदाबाद की ‘दीप एक्सपोर्ट्स’ नामक फर्म को प्रीमियम पर बेचा गया, जिसने इनका इस्तेमाल कर ड्यूटी-फ्री गोल्ड मंगाया। इस पूरे फर्जीवाड़े से सरकार को 1.44 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

सीबीआई ने इस मामले में 31 मार्च 2004 को मोनिका कपूर, राजन खन्ना और राजीव खन्ना के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। इसके बाद 20 दिसंबर 2017 को दिल्ली की साकेत कोर्ट ने राजन और राजीव खन्ना को दोषी ठहराया। हालांकि, मोनिका कपूर पूरे समय जांच से बचती रही।

इसी वजह से अदालत ने 13 फरवरी 2006 को मोनिका कपूर को भगोड़ा घोषित कर दिया और 26 अप्रैल 2010 को उसके खिलाफ गैर-जमानती वारंट और इंटरपोल रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया।

सीबीआई ने 19 अक्टूबर 2010 को अमेरिकी अधिकारियों को प्रत्यर्पण का अनुरोध भेजा। इसके बाद करीब 14 वर्षों तक लगातार कानूनी प्रक्रिया और अमेरिकी एजेंसियों से समन्वय के बाद आखिरकार सीबीआई की एक टीम हाल ही में अमेरिका गई और मोनिका को कानूनी हिरासत में ले लिया।

प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि, “CBI आर्थिक अपराधों के खिलाफ अपनी लड़ाई में पूरी तरह प्रतिबद्ध है और ऐसे भगोड़ों को कानून के शिकंजे में लाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सभी कानूनी रास्तों का इस्तेमाल करती रहेगी।”

मोनिका कपूर की गिरफ्तारी और प्रत्यर्पण से यह स्पष्ट हो गया है कि भारत अब आर्थिक अपराधियों को विदेशों में सुरक्षित नहीं रहने देगा। इस मामले से अन्य भगोड़ों के लिए भी एक कड़ा संदेश गया है कि न्याय से भागना अब आसान नहीं रहेगा।

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