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सत्ता से चिपके हुए हैं मोहम्मद यूनुस, पढ़ें ‘झूठे वादों’ की टाइमलाइन

विवादास्पद 'नोबेल पुरस्कार विजेता' को अंतरिम सरकार का 'मुख्य सलाहकार' बने हुए 9 महीने से अधिक समय हो गया है, जिसमें उन्होंने 'स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव' और व्यापक व्यवस्थित सुधारों के खोखले वादे किए थे।

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बांग्लादेश में पिछले नौ महीनों से सत्ता पर काबिज अंतरिम सरकार के ‘मुख्य सलाहकार’ मोहम्मद यूनुस पर देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को रोकने और चुनाव को लगातार टालने के गंभीर आरोप लग रहे हैं। 25 मई 2025 को उनके प्रेस सचिव ने घोषणा की कि यूनुस “30 जून 2026 के बाद एक दिन भी सत्ता में नहीं रहेंगे”, जिससे यह संकेत मिला कि बांग्लादेश में आगामी 13 महीनों तक चुनाव नहीं होंगे।

मोहम्मद यूनुस ने 8 अगस्त 2024 को ‘छात्र आंदोलनों’ की आड़ में प्रधानमंत्री शेख हसीना की सत्ता से अपदस्थ किए जाने के बाद सत्ता संभाली थी। इस घटनाक्रम को एक संगठित ‘रेजीम चेंज ऑपरेशन’ कहा गया, जिसमें कट्टरपंथी इस्लामी ताकतों की भी भूमिका रही। शेख हसीना को देश छोड़कर भारत आना पड़ा। विवादास्पद ‘नोबेल पुरस्कार विजेता’ को अंतरिम सरकार का ‘मुख्य सलाहकार’ बने हुए 9 महीने से अधिक समय हो गया है, जिसमें उन्होंने ‘स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव’ और व्यापक व्यवस्थित सुधारों के खोखले वादे किए थे।

विपक्षी दलों और बांग्लादेशी सेना की ओर से जन असंतोष और तीव्र प्रतिक्रिया का सामना करते हुए, यूनुस ने इस्तीफे की धमकी दी , भारत को दोषी ठहराया, इस्लामवादियों को खुश किया और ‘युद्ध जैसी स्थिति’ का व्यापक उन्माद पैदा किया । हालाँकि, उनके शासन का एक विशिष्ट पैटर्न स्पष्ट हो गया – मुहम्मद यूनुस अलोकतांत्रिक तरीके से सत्ता पर काबिज रहने के लिए चुनाव कराने की तिथि को रणनीतिक रूप से पीछे धकेल रहे थे।

तब से यूनुस खुद को ‘लोकतंत्र बहाली’ का झंडा बरदार बताते रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि देश में न तो चुनाव हुए हैं और न ही कोई ठोस चुनावी योजना सामने आई है।


एक झूठी लोकतांत्रिक चुनावी घोषणाओं की पूरी टाइमलाइन:

जुलाई 2024: यूनुस ने भारतीय अखबार ‘The Hindu’ को दिए इंटरव्यू में कहा, “चुनाव ही सभी राजनीतिक समस्याओं का समाधान है… देश के असली मालिक जनता हैं।” हालांकि, उस समय बांग्लादेश में जनवरी 2024 में चुनाव हो चुके थे।

अक्टूबर 2024: ‘Voice of America’ से बातचीत में यूनुस ने चुनाव की समयसीमा देने से साफ इनकार कर दिया। उन्होंने सेना प्रमुख वाकर-उज़-ज़मान द्वारा दिए गए 18 महीनों की समयसीमा पर भी कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं दी।

दिसंबर 2024: विजय दिवस पर यूनुस ने पहली बार संकेत दिया कि चुनाव “देर से 2025 या 2026 की शुरुआत” में हो सकते हैं, बशर्ते राजनीतिक दल सुधारों पर सहमत हों।

मार्च 2025: देश में बढ़ते आर्थिक संकट, सेना और विपक्ष के दबाव के बीच यूनुस ने चुनाव दिसंबर 2025 से जून 2026 के बीच कराने की बात कही।

मई 2025: यूनुस ने साफ कर दिया कि 30 जून 2026 से पहले कोई चुनाव नहीं होगा। उनके प्रवक्ता शफीकुल ने कहा, “हम युद्ध जैसी स्थिति में हैं… देश को अस्थिर करने की साजिश हो रही है।”

22 मई 2025 को यूनुस के इस्तीफे की अफवाह फैली। कुछ छात्र नेता उन्हें मनाने उनके आवास पहुंचे, BNP ने इस्तीफा मांगने से इनकार किया, और अखबार ‘The Daily Star’ ने भावुक अपील कर उन्हें बने रहने की सलाह दी।

इसके बाद उनके सलाहकार वहीदुद्दीन महमूद ने कहा, “हम तब तक कहीं नहीं जा रहे जब तक हमारा काम पूरा नहीं हो जाता।”

मोहम्मद यूनुस, जिनका एक समय ‘नोबेल पुरस्कार विजेता’ और ‘सूक्ष्म वित्त के प्रवर्तक’ के रूप में सम्मान होता था, आज बांग्लादेश में अलोकतांत्रिक सत्ता के प्रतीक बन चुके हैं। उनकी हर घोषणाओं में चुनाव को टालने का पैटर्न स्पष्ट रूप से दिखता है।

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