अमेरिका से प्रत्यर्पण के बाद गुरुवार शाम राना को दिल्ली लाया गया। सूत्रों के मुताबिक, उन्हें लोदी रोड स्थित NIA मुख्यालय में 14×14 फीट की कोठरी में रखा गया है, जहां 24×7 मानव और CCTV निगरानी की जा रही है। उन्हें सिर्फ एक सॉफ्ट-टिप पेन दिया गया है ताकि वे खुद को कोई नुकसान न पहुँचा सकें।
शुक्रवार से NIA ने उनकी पूछताछ शुरू कर दी है, जिसका मकसद 26/11 हमले की बड़ी साजिश को उजागर करना है। पूछताछ में उनके ISI से रिश्तों और भारत में मौजूद स्लीपर सेल, खासकर उनके सहयोगी डेविड कोलमैन हेडली उर्फ दाऊद गिलानी से जुड़े नेटवर्क पर फोकस किया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, हेडली ने पुष्कर, गोवा, दिल्ली सहित अन्य स्थानों पर स्लीपर सेल तैयार किए थे।
इस बीच, कांग्रेस ने यह दावा किया कि तहव्वुर राना का प्रत्यर्पण मोदी सरकार की नहीं, बल्कि UPA सरकार की रणनीतिक विदेश नीति और कूटनीति का परिणाम है। पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि प्रक्रिया 2009 में शुरू हुई थी, जब NIA ने हेडली, राना और अन्य के खिलाफ केस दर्ज किया था।
उन्होंने कहा कि 2012 में सलमान खुर्शीद और विदेश सचिव रंजन माथाई ने अमेरिका की तत्कालीन विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन से इस मुद्दे पर बात की थी। चिदंबरम के अनुसार, यह एक कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय सहयोग का बेहतरीन उदाहरण है, जिसे UPA सरकार ने बिना किसी दिखावे के आगे बढ़ाया।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि 2014 में सरकार बदलने के बाद भी यह संस्थागत प्रयास जारी रहे, और 2025 में मोदी और ट्रंप द्वारा इस पर श्रेय लेने की कोशिश वास्तव में UPA के वर्षों के परिश्रम का परिणाम है।
नई दिल्ली: राना ने वकीलों से पूछा, ‘मुकदमा एक साल में खत्म हो जाएगा?’