इन आरोपों में यूए(पी) अधिनियम, शस्त्र अधिनियम, विस्फोटक अधिनियम और बीएनएसएस की धाराएं शामिल हैं। सभी 21 आरोपी माओवादी साजिश में सक्रिय रूप से शामिल पाए गए, जिसे भाकपा (माओवादी) के वरिष्ठ नेताओं ने भारत सरकार के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों के माध्यम से युद्ध छेड़ने के लिए रचा था।
एनआईए की जांच में यह भी सामने आया कि इन माओवादी कार्यकर्ताओं का उद्देश्य एक अधिनायकवादी शासन स्थापित करना था, जिससे देश की संप्रभुता और संवैधानिक ढांचे को खतरा पैदा होता।
इस साल मई में तेलंगाना पुलिस ने मुलुगु जिले में तीन अलग-अलग स्थानों पर छापे मारे और कई माओवादी कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया। उनके पास से स्वचालित असॉल्ट राइफलें, गोला-बारूद, विस्फोटक सामग्री, माओवादी साहित्य और अन्य आपत्तिजनक सामग्री बरामद की गई।
एनआईए अब इस मामले की जांच को अपने हाथ में लेकर भाकपा (माओवादी) के पुनः सक्रिय होने के प्रयासों को विफल करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही है।
वहीं इससे पहले राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में आतंकी साजिश से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में दो आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था।
एनआईए ने आंध्र प्रदेश के विजयनगरम निवासी सिराज उर रहमान और हैदराबाद निवासी सैयद समीर को इस मामले में मुख्य आरोपी बनाया है। दोनों को आंध्र प्रदेश पुलिस ने 16 और 17 मई 2025 को गिरफ्तार किया था।
विशाखापत्तनम स्थित एनआईए की विशेष अदालत में दाखिल आरोप पत्र में कहा गया है कि सिराज उर रहमान और सैयद समीर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से देश के विभिन्न हिस्सों के युवाओं को कट्टरपंथी बना रहे थे। उन पर आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और देशभर में आतंकवादी हमले करने की साजिश रचने का आरोप है।
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