नोबेल शांति पुरस्कार 2024: जापानी संस्था ‘निहोन हिडांक्यो’ को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित!

संगठन ने हिरोशिमा और नागासाकी के परमाणु बम से बचे लोगों के लिए जमीनी लड़ाई लड़ी है|

नोबेल शांति पुरस्कार 2024: जापानी संस्था ‘निहोन हिडांक्यो’ को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित!

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इस साल के नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा हो गई है|यह पुरस्कार जापानी संस्था निहोन हिडानक्यो को दिया जाएगा। इस संगठन ने हिरोशिमा और नागासाकी के परमाणु बम पीड़ितों के लिए बहुत काम किया है।यह संगठन पूरी दुनिया को परमाणु हथियारों से मुक्त कराने के लिए काम करता है।इस काम के लिए उन्हें सम्मानित किया गया है|वर्ष 2024 के लिए शांति का नोबेल पुरस्कार जापानी संगठन ‘निहोन हिडांक्यो’ को दिया गया है|

इस संगठन को यह पुरस्कार इसलिए दिया गया है, क्योंकि इसने परमाणु हथियारों से मुक्त दुनिया बनाने के प्रयासों और गवाहों के बयानों के माध्यम से यह साबित करने की कोशिश है कि परमाणु हथियारों का फिर कभी इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए| संगठन ने हिरोशिमा और नागासाकी के परमाणु बम से बचे लोगों के लिए जमीनी लड़ाई लड़ी है|

नॉर्वेजियन नोबेल समिति को इस साल के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए कुल 286 उम्मीदवारों के आवेदन मिले थे, जिसमें से 89 संगठन हैं. पिछली बार यानी साल 2023 में ईरानी पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता नरगिस मोहम्मदी को शांति के लिए नोबेल पुरस्कार मिला था| उन्हें डिफेंडर्स ऑफ ह्यूमन राइट्स सेंटर के उप निदेशक के रूप में उनके काम के लिए जाना जाता है, जो कि एक संगठन है, जो ईरान में प्रतिबंधित है|

अमेरिका के पोर्टलैंड में जन्मे लिनस पॉलिंग दुनिया के एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्हें दो-दो नोबेल पुरस्कार मिले हैं| एक नोबेल प्राइज उन्हें केमिस्ट्री में मिला था तो दूसरा शांति के लिए| नोबेल प्राइज के आधिकारिक सोशल मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने रासायनिक बंधन को समझने और उसको डिस्क्राइब करने के लिए क्वांटम मैकेनिक्स का उपयोग किया था| बाद में उन्होंने परमाणु हथियारों के खिलाफ जोरदार अभियान चलाया और परमाणु परीक्षण पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक पिटीशन फाइल किया था|

वांगारी मथाई केन्या की पहली महिला प्रोफेसर और नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित होने वाली पहली अफ़्रीकी महिला थीं| उन्होंने ग्रीन बेल्ट मूवमेंट की स्थापना की थी, जिसकी वजह से लाखों पेड़ लगाए गए थे| इसके अलावा साल 2014 में भारत के कैलाश सत्यार्थी और पाकिस्तान की मलाला यूसुफजई को भी नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया था| पहला नोबेल शांति पुरस्कार साल 1901 में स्विट्जरलैंड के हेनरी डुनैंट और फ्रांस के फ्रेडरिक पैसी को दिया गया था|

नोबेल शांति पुरस्कार नॉर्वे की संसद (स्टॉर्टिंगेट) द्वारा चुनी गई समिति द्वारा प्रदान किया जाता है| समिति में नॉर्वेजियन संसद द्वारा नियुक्त 5 सदस्य होते हैं, जो पुरस्कार के लिए विजेताओं का चयन करते हैं| वहीं, विजेता को नोबेल प्राइज और डिप्लोमा के साथ-साथ पुरस्कार राशि वाला एक डॉक्यूमेंट भी दिया जाता है|

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