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Friday, September 20, 2024
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अब कोविशील्ड के दो खुराकों के बीच होगा 12-16 हफ्ते का अंतर

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एनटीएजीआई ने गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को टीका लगाने का भी दिया सुझाव
 
नई दिल्ली। कोरोना की दूसरी लहर के बीच लगाए जा रहे कोरोना टीका की किल्लत को देखते हुए सरकारी पैनल एनटीएजीआई ने कोविशील्ड टीके की दो खुराकों के बीच अंतर बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है। वर्तमान समय में कोविशील्ड की दो डोज के बीच छह से आठ सप्ताह का अंतर था, अब उसे बढ़ाकर 12-16 हफ्ते करने की सिफारिश की है.इसके अलावा पैनल ने कोविड टीकाकरण से पहले टीका लगवाने आए लोगों की रैपिड एंटीजन जांच का प्रस्ताव को ख़ारिज कर दिया है।
 हालांकि, राष्ट्रीय टीकाकरण तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) ने कोवैक्सिन की खुराकों के बीच अंतराल में किसी तरह के बदलाव की सिफारिश नहीं की है। अभी यह अंतराल चार से आठ हफ्ते हैं। एनटीएजीआई ने कहा है कि जो लोग कोरोना से पीड़ित रह चुके हैं उन लोगों को स्वस्थ होने के बाद छह माह तक वैक्सीनेशन की जरूरत नहीं है.
पैनल ने कहा है कि अब गर्भवती महिलाओं को भी कोरोना की वैक्सीन दी जा सकती है।  इसके अलावा स्तनपान करने वाली महिलाएं बच्चे को जन्म देने के बाद टीका लगवा सकती हैं।
एनटीएजीआई के ये सुझाव मंजूरी के लिए कोविड-19 के राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह (NEGVAC) को भेजा जायेगा।
भारत में दो वैक्सीन के साथ चल रहे टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है। केंद्र सरकार 45 साल अधिक उम्र के लोगों को फ्री में वैक्सीन दे रही है। इसके अलावा 18 से 44 वायु वर्ग के लोगों के टीकाकरण के लिए राज्य सरकारों और प्राइवेट सेक्टर को भी वैक्सीन खरीदने की अनुमति दी है। हालांकि केंद्र सरकार ने इसके लिए कोटा तय कर दिया है, ताकि सभी राज्यों को उसकी जनसंख्या के हिसाब से टीका मिले। हालांकि देश के अधिकांश राज्य सरकारों ने अपने राज्य की जनता को फ्री में वैक्सीन देने की घोषणा की है।
2 -18 साल लोगों के लिए दूसरे /तीसरे चरण के ट्रायल को मंजूरी 
ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने 2 से 18 वर्ष के आयु वर्ग में को वैक्सीन के दूसरे/तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल को मंजूरी दे दी है. अब भारत बायोटेक 525 हेल्थ वॉलंटियर्स पर ट्रायल करेगा. इस ट्रायल में वॉलेंटियर्स को दो डोज 0 से 28 दिन के अंतराल पर दी जाएंगी. भारत बायोटेक की वैक्सीन के एक विशेषज्ञ पैनल ने मंगलवार को ही 2 से 18 साल की उम्र के लिए दूसरे और तीसरे चरण के ट्रायल की मंजूरी की सिफारिश की थी. यह ट्रायल एम्स दिल्ली, एम्स पटना, मेडिट्रिना इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज नागपुर जैसी जगहों पर किया जा सकता है. सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (CDSCO) की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमिटी (SEC) ने मंगलवार को हैदराबाद की भारत बायोटेक की एप्लीकेशन पर चर्चा की थी.

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