श्रीनगर। अब बाहर राज्य का पुरुष अगर जम्मू-कश्मीर की महिला से शादी करता है तो उसे भी राज्य का निवासी माना जाएगा। केंद्र शासित प्रदेश की सरकार ने डोमिसाइल कानूनों में बदलाव करते हुए बड़ा फैसला लिया। इससे पहले केवल केंद्र शासित प्रदेश के मूल निवासी को ही आवास प्रमाण पत्र की प्राप्ति के लिए पात्र माना जाता था और दूसरे राज्यों के व्यक्ति को इसके लिए योग्य नहीं माना जाता था।
जम्मू और कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश की सरकार ने मंगलवार को केंद्र शासित प्रदेश के बाहर विवाहित महिलाओं के जीवनसाथी को अधिवास प्रमाण पत्र जारी करने की अंतिम बाधा को हटा दिया। सरकार की इस घोषणा के साथ जम्मू-कश्मीर की निवासी महिला के पति को आवास प्रमाण पत्र के लिये पात्र माना जाएगा। जम्मू-कश्मीर के आवास प्रमाण पत्र (प्रक्रिया) नियम, 2020 के अंतर्गत एक नया खंड जोड़े जाने के बाद अब केंद्र शासित प्रदेश की निवासी महिला का जीवनसाथी कुछ संबंधित दस्तावेज जमा कर आवास प्रमाण पत्र प्राप्त कर सकता है।
जिन दस्तावेजों को जमा करने की आवश्यकता होगी, उनमें जीवनसाथी का आवास प्रमाण पत्र और शादी से संबंधित दस्तावेज शामिल हैं। सरकार की ओर से मंगलवार को जारी आदेश में कहा गया है कि अधिवास प्रमाण पत्र जारी करने के लिए तहसीलदार को सक्षम प्राधिकारी के रूप में नामित किया गया है। यह आदेश जीएडी के आयुक्त/सचिव मनोज द्विवेदी ने जारी किया है। अबतक केवल राज्य की महिलाओं को ही यहां का स्टेट सब्जेक्ट मानकर डोमिसाइल दिया जाता था।
बता दें कि, जम्मू और कश्मीर में जब तक अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35 ए लागू था, तब तक ऐसी दशा में सिर्फ महिला ही कश्मीर की स्थायी निवासी रहती, उसके बच्चों और पति को इस दायरे से बाहर रखा गया था। अगर कश्मीरी पुरुष किसी महिला से शादी करता था तो उसे और उसके बच्चों को स्थायी निवासी माना जाता था । वहीं पुरुषों के सबंध में इस नियम से पहले ढील मिली हुई थी। वे किसी भी दूसरे राज्य की महिला से शादी कर सकते थे, उससे होने वाले बच्चे कश्मीर के स्थायी निवासी ही माने जाते।कहा जा रहा है कि प्रशासन का यह कदम लैंगिक असमानता खत्म करने के लिए है. जम्मू और कश्मीर प्रशासन की ओर से यह अधिसूचना 20 जुलाई, 2021 को जारी की गई है।
यह था नियम : धारा 35-A जम्मू-कश्मीर विधानसभा को राज्य के ‘स्थायी निवासी’ की परिभाषा तय करने का हक देती है। इसके तहत जम्मू-कश्मीर के शहरियों को कुछ खास हुकूक दिए गए हैं। साल 1954 में इसे संविधान में जोड़ा गया था। 1956 में जम्मू-कश्मीर का कानून बनाया गया था और इसमें स्थायी शहरियत की परिभाषा तय की गई। इसके तहत स्थायी नागरिक वही होता जो 14 मई 1954 को राज्य का शहरी रहा और कानूनी तरीके से राज्य में अचल संपत्ति खरीदी हो।इसके अलावा वह शख्स जो 10 सालों से राज्य में रह रहा हो या 1 मार्च 1947 के बाद राज्य से माइग्रेट होकर चले गए हों, लेकिन प्रदेश में वापस रीसेटलमेंट परमिट के साथ आए हों। अनुच्छेद 370 के हटाए जाने के बाद यह बदलाव जरूरी था।