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Friday, December 5, 2025
होमक्राईमनामा“पाकिस्तानी सेना ने बलूचिस्तान में केमिकल हथियारों का इस्तेमाल किया”

“पाकिस्तानी सेना ने बलूचिस्तान में केमिकल हथियारों का इस्तेमाल किया”

बलूच नेता मीर यार बलूच का दावा

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बलूचिस्तान के नेता मीर यार बलूच ने पाकिस्तानी सेना पर गंभीर आरोप लगाए हैं। मीर ने दावा किया है कि आसिम मुनीर की लीडरशिप वाली सेना बलूच लोगों के खिलाफ केमिकल हथियारों का इस्तेमाल कर रही है। मीर यार समय से  पाकिस्तान से अलग होकर स्वतंत्र बलूचिस्तान देश बनाने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि पाकिस्तानी सेना ने बलूच लोगों का खून बहाने में सारी हदें पार कर दी हैं। दुनिया को इस पर ध्यान देना चाहिए और आसिम मुनीर को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।

मीर यार ने अपने ट्वीट में लिखा कि बलूचिस्तान के अलग-अलग हिस्सों में कई ड्रोन हमलों की पुष्टि हुई है। उन्होंने कहा, “हम इंटरनेशनल हथियार एक्सपर्ट्स और संबंधित जांच एजेंसियों से अपील करते हैं कि वे प्रभावित इलाकों का दौरा करें और पाकिस्तान द्वारा केमिकल हथियारों के इस्तेमाल का स्वतंत्र रूप से आकलन करें।”

मीर के अनुसार पाकिस्तानी एयर फोर्स हर दिन पचास से ज़्यादा इलाकों पर हवाई निगरानी कर रही है। इनमें कलात, खुजदार, मंगचर, बोलन, कोहलू, काहन, चगाई, पंजगुर और नोशकी शामिल हैं। हमें ड्रोन हमलों की भी रिपोर्ट मिल रही हैं। पाकिस्तानी सेना के बस्तियों पर हवाई हमलों की वजह से कई इलाकों में आग लग गई है। चट्टानों और मलबे पर केमिकल पार्टिकल्स के रूप में अजीब चीज़ें मिली हैं, जो बताती हैं कि पाकिस्तानी सेना ने खतरनाक हथियारों का इस्तेमाल किया है।

बलूच हथियार एक्सपर्ट्स का कहना है कि पाकिस्तान बलूच लोगों के खिलाफ केमिकल और फास्फोरस हथियारों का इस्तेमाल कर रहा है। ऐसे खतरनाक हथियारों का इस्तेमाल इंटरनेशनल कानून के तहत पूरी तरह से गलत है। पाकिस्तान को युद्ध और बैन हथियारों के इस्तेमाल, दोनों के लिए इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में मुकदमे का सामना करना पड़ सकता है।

मीर यार का कहना है कि यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तानी सेना ने ऐसा किया है। 2005 में जनरल परवेज मुशर्रफ के समय में, कोहलू, काहन और बलूचिस्तान के कई दूसरे हिस्सों में बड़ी मात्रा में फास्फोरस और दूसरे बैन हथियारों का इस्तेमाल किया गया था। इन उल्लंघनों की रिपोर्ट मीडिया और इंटरनेशनल संगठनों को दी गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। ग्लोबल संगठनों की लापरवाही ने स्थिति को और खराब कर दिया है।

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