पाकिस्तान को लगभग चार साल पहले फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स यानी एफएटीएफ की ग्रे सूची में डाला गया था। हालांकि एफएटीएफ ने 20-21 अक्टूबर को पेरिस में हुई अपनी पूर्ण बैठक में पाकिस्तान को ग्रे सूची से हटाने का फैसला लिया। एफएटीएफ आतंकवादी वित्त पोषण और मनी लॉन्ड्रिंग पर नजर रखने वाली वैश्विक संस्था है। वहीं, एफएटीएफ ने म्यांमार को पहली बार अपने ब्लैक लिस्ट में शामिल किया है। ब्लैक लिस्ट में उच्च जोखिम वाले उन क्षेत्रों को रखा जाता है, जहां कार्रवाई किए जाने की जरूरत है।
वहीं पाकिस्तान को एफएटीएफ ग्रे लिस्ट से बाहर किए जाने के फैसले पर भारत की प्रतिक्रिया सामने आई है। भारत ने कहा है ये वैश्विक हित में होगा कि पाकिस्तान अपने यहां आतंकवाद और आतंक को धन मुहैया कराने से रोकने के लिए कार्रवाई जारी रखे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि एफएटीएफ के पूर्ण सत्र के संदर्भ में पाकिस्तान से संबंधित रिपोर्ट देखी है। पाकिस्तान मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एशिया पैसिफिक ग्रुप के साथ अपनी एंटी मनी लॉन्ड्रिंग या फिर काउंटर टेरर फाइनेंसिंग सिस्टम को और बेहतर बनाने के लिए काम करना जारी रखेगा।
एफएटीएफ की जांच के परिणामस्वरूप, पाकिस्तान को जाने-माने आतंकवादियों के खिलाफ कुछ कार्रवाई करने के लिए मजबूर किया गया है। इसमें 26/11 हमले में शामिल होनेवाले लोग भी हैं। उन्होंने कहा, यह दुनिया के हित में है कि पाकिस्तान को अपने नियंत्रण वाले क्षेत्रों से आतंकवाद और आतंकवादी वित्तपोषण के खिलाफ विश्वसनीय और निरंतर कार्रवाई जारी रखनी चाहिए। जबकि ग्लोबल वर्कफोर्स ने कहा कि पाकिस्तान ने मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्त पोषण से निपटने के अपने तंत्र को अधिक प्रभावी बनाया है और रणनीतिक कमियों के संबंध में अपनी कार्य योजनाओं की प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए उन तकनीकी कमियों को दूर किया है।
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