पाकिस्तान में आतंकवाद के खतरे के बीच स्थिति और भी गंभीर होती जा रही है। सोमवार (3 मार्च) को जारी किए गए नवीनतम आंकड़ों में यह सामने आया कि फरवरी 2025 में देश में आतंकी हमलों के कारण नागरिकों की मौतों में चिंता बढ़ाने वाली वृद्धि हुई है। अधिकारियों के अनुसार नागरिकों के मुकाबले सुरक्षाकर्मियों की संख्या में कम मौतें हुईं।
पाकिस्तान इंस्टीट्यूट फॉर कॉन्फ्लिक्ट एंड सिक्योरिटी स्टडीज (PICSS) के अनुसार, फरवरी में पाकिस्तान में कम से कम 79 आतंकवादी हमले हुए, जिनमें 55 नागरिक और 47 सुरक्षाकर्मी मारे गए, जबकि 81 सुरक्षाकर्मी और 45 नागरिक घायल हुए। PICSS की रिपोर्ट में कहा गया, “फरवरी 2025 ऐसा पहला महीना था, जिसमें नागरिकों की मौत सुरक्षाबलों से ज्यादा हुई। जनवरी 2025 के मुकाबले नागरिकों की मौतों में 175 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि सुरक्षा कर्मियों की मृत्यु में 18 प्रतिशत की कमी आई।”
PICSS ने यह भी बताया कि जनवरी 2025 के मुकाबले सुरक्षा बलों ने अपने आतंकवाद विरोधी अभियानों को तेज किया, जिसमें 156 आतंकवादी मारे गए, 20 घायल हुए और 66 गिरफ्तार किए गए। हालांकि, जनवरी 2025 के मुकाबले आतंकवादियों की हताहतों की संख्या में गिरावट आई है। जनवरी में 208 आतंकवादी मारे गए थे, जबकि फरवरी में यह संख्या 156 रही, जो कि 25 प्रतिशत की कमी दर्शाती है।
खैबर पख्तूनख्वा (केपी) और बलूचिस्तान प्रांत 2025 में भी सबसे ज्यादा अस्थिर रहे। आंकड़ों के अनुसार, बलूचिस्तान में 32 हमले हुए, जिनमें 56 लोगों की मौत हुई, जिनमें 36 नागरिक, 10 सुरक्षाकर्मी और 11 आतंकवादी शामिल हैं। हमलों में 44 लोग घायल हुए, जिनमें 32 सुरक्षाकर्मी और 12 नागरिक शामिल हैं। खैबर पख्तूनख्वा (केपी) में 23 हमले हुए, जिनमें 26 लोग मारे गए, जिनमें 14 सुरक्षाकर्मी और 12 नागरिक शामिल हैं।
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आतंकवादी हमलों में नागरिकों की बढ़ती मौतों से पता चलता है की पाकिस्तान में सुरक्षा की स्थिति बेहद चिंताजनक बनी हुई है। फरवरी 2025 में नागरिकों की मौतों में भारी वृद्धि देखी गई, जो सुरक्षा कर्मियों की मौतों से अधिक थी, जो आम जनता की बढ़ती भेद्यता को उजागर करती है। जनवरी की तुलना में आतंकवादी घटनाओं में कमी के बावजूद, खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान जैसे क्षेत्रों में समग्र अस्थिरता महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना जारी रखती है। ऐसे में विभिन्न देशों से पाकिस्तान में आने वाले पर्यटकों की सुरक्षा की स्थिती और चैंपियंस ट्रॉफी जैसे इवेंट्स भी खतरे के साए में है।
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