पाकिस्तान की आतंक पर पर्दादारी एक बार फिर दुनिया के सामने उजागर हो गई है। अमेरिका ने गुरुवार (17 जुलाई) को लश्कर-ए-तैयबा (LeT) समर्थित संगठन द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) को वैश्विक आतंकी संगठन घोषित कर दिया। TRF वही संगठन है जिसने इस वर्ष 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली थी। TRF को लेकर भारत लगातार सबूत देता रहा है कि यह लश्कर-ए-तैयबा का ही एक फ्रंट है, जिसे अनुच्छेद 370 हटने के बाद सक्रिय रूप से कश्मीर में फैलाया गया।
भारत को इस मोर्चे पर कूटनीतिक जीत तब मिली जब अमेरिका ने TRF को वैश्विक आतंकी करार दिया, जबकि पाकिस्तान ने इस संगठन की रक्षा करने के लिए हरसंभव कोशिश की। पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में TRF का नाम प्रेस स्टेटमेंट से हटवाने के लिए सक्रिय हस्तक्षेप किया था। डार ने खुद पाक संसद में यह स्वीकार किया कि उन्होंने UNSC में अमेरिकी प्रस्तावित बयान के शब्दों को बदलवाया, जिसमें TRF को नामजद किया गया था। उन्होंने कहा, “मैंने हमारे यूएन राजदूत को साफ निर्देश दिए कि बयान में जम्मू-कश्मीर लिखा जाए और TRF का नाम हटाया जाए।”
पाकिस्तान ने TRF के खिलाफ कार्रवाई से बचने के लिए 2.5 दिनों तक UNSC बयान को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया को बाधित किया। इशाक डार ने कहा कि उन्हें कई देशों की राजधानियों से फोन आए, लेकिन उन्होंने TRF का नाम हटाने पर अड़कर कहा “Nothing doing”। अंततः पाकिस्तान की आपत्ति के बाद अंतिम प्रेस स्टेटमेंट में TRF का नाम हटा दिया गया।
हालांकि, UNSC के बयान में 22 अप्रैल के पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा की गई और कहा गया कि आतंक फैलाने वाले और उसे समर्थन देने वाले सभी तत्वों को न्याय के कटघरे में लाया जाए। भारत ने बार-बार TRF के लश्कर से संबंध के प्रमाण दिए हैं। ऑपरेशन सिंदूर की प्रेस ब्रीफिंग में विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया था कि भारत ने मई और नवंबर 2024 में UNSC की 1267 सैंक्शन कमेटी को TRF के बारे में विस्तृत जानकारी सौंपी थी।
इस आतंकी संगठन के मुख्य चेहरे लश्कर के साजिद जट्ट और सलीम रहमानी हैं। TRF जम्मू-कश्मीर में युवाओं की ऑनलाइन भर्ती, हथियारों और नशीले पदार्थों की तस्करी, आतंकियों की घुसपैठ और सोशल मीडिया के जरिए मनोवैज्ञानिक युद्ध जैसी गतिविधियों में संलिप्त रहा है। गृह मंत्रालय के अनुसार, 2022 में मारे गए 172 आतंकियों में से 108 TRF से जुड़े थे। TRF को लश्कर-ए-तैयबा के दहशतगर्दों ने अगस्त 2019 के बाद बनाया था, जब जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया गया। भारत सरकार ने जनवरी 2023 में इसे गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत प्रतिबंधित कर दिया था। TRF के संस्थापक शेख सज्जाद गुल हैं, जिन्हें भारत ने 2022 में आतंकी घोषित किया। गुल ने पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या की साजिश में भी भूमिका निभाई थी।
इसके अलावा TRF ने अक्टूबर 2024 में गंदरबल स्थित ज़-मोहर टनल पर आतंकी हमले की जिम्मेदारी भी ली थी। TRF ने घाटी में पत्रकारों और मीडिया हाउस को धमकियां भी दी थीं।
TRF को वैश्विक आतंकी संगठन घोषित किया जाना भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक सफलता है, वहीं पाकिस्तान का दोहरा चेहरा एक बार फिर दुनिया के सामने आ चुका है, जो एक तरफ आतंकवाद के खिलाफ होने का दावा करता है, और दूसरी तरफ लश्कर जैसे संगठनों के नए नामों को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बचाने की कोशिश करता है।
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