चंद्रप्रकाश द्विवेदी की ‘पिंजर’ अमृता प्रीतम के उपन्यास पर आधारित है, जो विभाजन के दौरान महिलाओं की पीड़ा को दिखाती है। साल 2003 में आई फिल्म में उर्मिला मातोंडकर के निभाए ‘पूरो’ के किरदार को दर्शकों से काफी प्यार मिला। पूरो एक हिंदू लड़की रहती है, जिसका एक मुस्लिम युवक (मनोज बाजपेयी) अपहरण कर लेता है।
साल 2003 में आई सबीहा सुमर की फिल्म ‘खामोश पानी’ पाकिस्तान में बसे एक गांव की कहानी है, जहां विभाजन की यादें एक महिला और उसके बेटे के जीवन की कहानी को कहती हैं। किरण खेर की दमदार एक्टिंग इस फिल्म को यादगार बनाती है।
अनिल शर्मा के निर्देशन में बनी ‘गदर’ विभाजन के दौरान की प्रेम और बलिदान की कहानी को पर्दे पर पेश करती है। साल 2001 में आई इस फिल्म में सनी देओल और अमीषा पटेल लीड रोल में हैं। यह फिल्म एक सिख ट्रक ड्राइवर तारा सिंह और मुस्लिम लड़की सकीना की प्रेम कहानी को पर्दे पर उतारती है।
‘1947: अर्थ’ एक इंडो-कैनेडियन पीरियड रोमांस ड्रामा फिल्म है, जो 1999 में बनी है, जिसका निर्देशन दीपा मेहता ने किया है। यह बाप्सी सिधवा के उपन्यास ‘क्रैकिंग इंडिया’ पर आधारित है, जो 1947 के भारत विभाजन के समय की कहानी है।
खुशवंत सिंह के उपन्यास पर आधारित पामेला रूक्स की फिल्म ‘ट्रेन टू पाकिस्तान’ साल 1998 में आई थी। यह एक पंजाबी गांव की कहानी बयां करती है, जहां सिख और मुस्लिम समुदाय शांति से रहते हैं। लेकिन, विभाजन की हिंसा गांव को भी अपनी चपेट में ले लेती है। ट्रेन दृश्य, जिसमें लाशों से भरी रेलगाड़ी गांव पहुंचती है, विभाजन की भयावहता को दिखाता है।
डाउन सिंड्रोम से पीड़ित महिलाओं में अल्जाइमर का अधिक खतरा: शोध!



