प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इथियोपिया दौरा भारत की अफ्रीका नीति में एक महत्वपूर्ण पड़ाव के रूप में देखा जा रहा है। इस यात्रा के दौरान भारत और इथियोपिया ने अपने द्विपक्षीय संबंधों को दो स्तर ऊपर उठाते हुए औपचारिक रूप से रणनीतिक साझेदारी का दर्जा दिया है। यह कदम ऐसे समय पर उठाया गया है, जब भारत 2026 में ब्रिक्स की अध्यक्षता संभालने जा रहा है और वैश्विक दक्षिण (ग्लोबल साउथ) में अपनी भूमिका को और मजबूत करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
इथियोपिया ने इस दौरे की शुरुआत प्रधानमंत्री मोदी को अपना सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘निशान ऑफ इथियोपिया (Great Honor of the Nishan of Ethiopia)’ प्रदान कर की, जिसे दोनों देशों के बीच बढ़ते विश्वास और राजनीतिक निकटता का प्रतीक माना जा रहा है। अफ्रीका के हॉर्न क्षेत्र में स्थित इथियोपिया आज ब्रिक्स का सदस्य है और भारत के लिए वह केवल एक साझेदार देश नहीं, बल्कि उभरती वैश्विक व्यवस्था में एक अहम कड़ी बनता जा रहा है।
आर्थिक दृष्टि से देखें तो भारत-इथियोपिया संबंधों की बुनियाद काफी मजबूत है। भारत अब इथियोपिया का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन चुका है। भारतीय निर्यात में मशीनरी, कृषि उत्पाद और दवाइयाँ प्रमुख हैं, जो इथियोपिया के औद्योगिक पार्कों, खाद्य सुरक्षा और स्वास्थ्य प्रणाली के लिए बेहद अहम मानी जाती हैं। भारत ने इथियोपिया में अब तक करीब 5 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष निवेश किया है।
भारतीय कंपनियों की मौजूदगी केवल कागजी निवेश तक सीमित नहीं है, बल्कि ज़मीनी स्तर पर दिखाई देती है। हावासा इंडस्ट्रियल पार्क में रेमंड का बड़ा गारमेंटिंग प्लांट संचालित है, जहां वैश्विक बाजारों के लिए परिधान तैयार किए जाते हैं। कैडिला फार्मा की दवा निर्माण इकाई और कानोरिया अफ्रीका टेक्सटाइल्स का डेनिम संयंत्र भी इथियोपिया में भारत की औद्योगिक भागीदारी को दर्शाते हैं। इसके अलावा भारत ने लगभग 1 अरब डॉलर की रियायती ऋण लाइनें भी प्रदान की हैं, जिनसे रेलवे, बिजली और चीनी परियोजनाओं को समर्थन मिला है।
राजनीतिक स्तर पर भी दोनों देशों की नजदीकी बढ़ी है। भारत ने ब्रिक्स में इथियोपिया की सदस्यता का खुलकर समर्थन किया था। इथियोपिया के प्रधानमंत्री अबी अहमद अली की आर्थिक उदारीकरण नीति खासतौर पर बैंकिंग और टेलीकॉम क्षेत्रों में भारतीय निवेशकों के लिए नए अवसर खोल रही है। इसी क्रम में भारत ने इस यात्रा के दौरान इथियोपिया में डेटा सेंटर स्थापित करने की घोषणा भी की है।
हालांकि, इस साझेदारी के साथ जोखिम भी जुड़े हैं। इथियोपिया में जारी आंतरिक संघर्ष, विशेषकर अमहारा क्षेत्र में बढ़ती हिंसा, देश की स्थिरता के लिए गंभीर चुनौती बनी हुई है। टिग्रे संघर्ष के बाद उभरी नई अशांति ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सुरक्षा हालात किसी भी समय बिगड़ सकते हैं। ऐसे में भारत के अरबों डॉलर के निवेश और रणनीतिक हितों पर असर पड़ने की आशंका बनी रहती है।
इसके बावजूद भारत ने पीछे हटने के बजाय आगे बढ़ने का रास्ता चुना है। एक उभरती वैश्विक शक्ति के रूप में भारत का मानना है कि हॉर्न ऑफ अफ्रीका जैसे रणनीतिक क्षेत्र से दूरी बनाना उसके दीर्घकालिक हितों के खिलाफ होगा। प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा इसी सोच को दर्शाता है, जहां भारत विकास, निवेश और कूटनीति के जरिए जोखिम उठाने को तैयार है, इस उम्मीद में कि दीर्घकाल में यह साझेदारी दोनों देशों के लिए लाभकारी साबित होगी।
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