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Wednesday, January 15, 2025
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प्रयागराज महाकुंभ 2025: पहला अमृत स्नान; अब तक एक करोड़ श्रद्धालुओं ने ​लगाई​ डुबकी!

कुंभ मेला दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक त्योहार माना जाता है। श्रद्धालुओं का मानना है कि कुंभ मेले के दौरान संगम में स्नान करने से मृत्यु के बाद मोक्ष मिलता है।

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सुबह की घनी धुंध, कड़कड़ाती ठंड और लगभग जमा देने वाला ठंडा पानी ऐसे मौसम में, भक्तिमय माहौल और श्रद्धालुओं के उत्साह के साथ प्रयागराज में गंगा के संगम पर महाकुंभ शुरू हो गया। देश के कोने-कोने से लाखों श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। विदेशी भक्त भी महाकुंभ पहुंच रहे हैं। चारों ओर आध्यात्मिकता का प्रकाश और धर्म की गूंज है। आज मकर संक्रांति पर्व पर अखाड़ों का अमृत स्नान करीब साढ़े नौ घंटे तक चलेगा। 

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ के दूसरे दिन अमृत स्नान के मौके पर जापान से आईं योगमाता केइको आइकावा भी पहुंची। उन्होंने कहा कि “मैं बहुत उत्साहित महसूस कर रही हूं। मैं सभी को आशीर्वाद देती हूं।” प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ के पहले दिन एकता और ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ (विश्व एक परिवार है) का संदेश दिया गया, जब कई देशों, भारत के हर राज्य और हर जाति के लोगों ने एक साथ अमृत स्नान में भाग लिया।

उत्तर प्रदेश के डीजीपी प्रशांत कुमार ने कहा कि आज 2025 महाकुंभ का प्रथम अमृत स्नान है। सुबह सात बजे तक वहां 98 लाख 20 हजार लोगों ने स्नान कर लिया था, ऐसे में अब तक लगभग 1 करोड़ से अधिक लोग स्नान कर चुके हैं। 

आज घाटों पर अत्यंत भीड़ है। हमारे सभी अधिकारी और कर्मचारी तैनात हैं। हमारे सभी कंट्रोल रूम के द्वारा लगातार अनुसरण किया जा रहा है। सभी लोग रेड अलर्ट पर हैं। हम लोगों का प्रयास है कि स्नान पूरी तरह से शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो। पूरे प्रदेश में आज मकर संक्रांति का जो स्नान हो रहा है वो अबाधित तरीके से चल रहा है। अखाड़ों के अन्य घाट होते हैं जिसके अलावा सामान्य घाटों पर भीड़ मौजूद है। ड्रोन और सीसीटीवी कैमरों का भी भरपूर प्रयोग किया जा रहा है।

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज महाकुंभ मेले में भाग ले रहे एक विदेशी श्रद्धालु ने कहा कि महाकुंभ सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए एक अवसर है। पहले अमृत स्नान के लिए जुलूस का नेतृत्व करते आनंद अखाड़ा के आचार्य मंडलेश्वर बालकानंद जी महाराज ने किया|

आनंद अखाड़ा के आचार्य मंडलेश्वर बालकानंद जी महाराज मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर पहले अमृत स्नान के लिए जुलूस का नेतृत्व करते हैं। 13 अखाड़ों के साधु आज गंगा, यमुना और ‘रहस्यमय’ सरस्वती नदियों के पवित्र संगम त्रिवेणी संगम पर पवित्र डुबकी लगा रहे हैं।

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