मदरसों पर नकेल कसने कि तैयारी शुरू!

भारत के विभाजन के विचार मन में डालने वाली मुस्लिम बच्चों के मन में विभाजन के विचार मन में डालने वाली ताकदों के हाथ ही मदरसों का संचालन है इस बात का जिक्र किया है।

मदरसों पर नकेल कसने कि तैयारी शुरू!

Preparations begin to crack down on madrassas!

राष्ट्रीय बाल हक्क संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्यक्ष प्रियंक कानून गो ने सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेश के चीफ सेक्रेटेरिएट को रिपोर्ट भेज कर मदरसों में दी जाने वाली ग्रांट्स को रद्द करने की मांग की है। साथ ही मदरसा बोर्ड्स को रद्द करने और मदरसे से गैर मुस्लिम विद्यार्थियों को निकाल कर उन्हें औपचारिक शिक्षा देनी चाहिए।

एनसीपीसीआर के अध्यक्ष ने भेजी इस रिपोर्ट का नाम ‘आस्था के संरक्षक या अधिकारों के विरोधी: बच्चों के संवैधानिक अधिकार बनाम मदरसे’ रखा गया है। इस रिपोर्ट में मुस्लिम बच्चों के मन में विभाजन के विचार मन में डालने वाली ताकदों के हाथ ही मदरसों का संचालन है इस बात का जिक्र किया है।

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पत्र में लिखा है, “यह सिफारिश की गई है कि सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में मदरसों और मदरसा बोर्डों को दी जाने वाली सरकारी फंडिंग बंद कर दी जानी चाहिए और मदरसा बोर्डों को बंद कर दिया जाना चाहिए…यह भी सिफारिश की गई है कि सभी गैर-मुस्लिम बच्चों को आरटीई अधिनियम, 2009 के अनुसार मौलिक शिक्षा प्राप्त करने के लिए मदरसों से बाहर निकाला जाए और स्कूलों में प्रवेश दिया जाए। इसके अलावा, मुस्लिम समुदाय के बच्चे, जो मदरसे में जाते हैं, चाहे वे मान्यता प्राप्त हों या गैर-मान्यता प्राप्त, औपचारिक स्कूलों में नामांकित होते हैं और आरटीई अधिनियम, 2009 के अनुसार निर्धारित समय और पाठ्यक्रम की शिक्षा प्राप्त करते हैं।”

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