राष्ट्रपति कोविंद ने न्याय व्यवस्था में महिलाओं की हिस्सेदारी पर दिया जोर

राष्ट्रपति कोविंद ने न्याय व्यवस्था में महिलाओं की हिस्सेदारी पर दिया जोर

प्रयागराज। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने न्याय व्यवस्था में महिलाओं की हिस्सेदारी पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि कुछ अपवादों को छोड़ दें तो उनमें न्याय की प्रवृत्ति ,मानसिकता और संस्कार मौजूद होते हैं। राष्ट्रपति ने प्रयागराज में इलाहबाद हाई कोर्ट में अधिवक्ताओं के कक्ष और पार्किंग भवन के शिलान्यास के दौरान यह बात कही।

उन्होंने कहा, ”मायका हो, ससुराल हो, पति हो, संतान हो, कामकाजी महिलाएं इन सबके बीच संतुलन बनाते हुए अपने कार्यक्षेत्र में उत्कृष्टता के उदाहरण प्रस्तुत करती हैं। सही मायने में न्यायपूर्ण समाज की स्थापना तभी संभव होगी, जब अन्य क्षेत्रों सहित देश की न्याय व्यवस्था में भी महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी।
इलाहाबाद हाई कोर्ट में 2,300 अधिवक्ताओं के कक्ष और 3,800 वाहनों की पार्किंग के लिए भवन और झलवा के निकट देवघाट में उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय का उच्च न्यायालय में एक कार्यक्रम में रिमोट के जरिए राष्ट्रपति ने शिलान्यास किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कोविंद ने कहा, “आज उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय सबमें मिलाकर महिला न्यायाधीशों की कुल संख्या 12 प्रतिशत से भी कम है।
न्यायपालिका में महिलाओं की भूमिका बढ़ानी होगी।” राष्ट्रपति ने कहा कि इसी उच्च न्यायालय में 1921 में भारत की पहली महिला वकील कोरनेलिया सोराबजी को नामांकित करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया था। यह महिला सशक्तिकरण की दिशा में इलाहाबाद उच्च न्यायालय का भविष्य उन्मुखी निर्णय था। उन्होंने कहा, “पिछले महीने ही न्यायपालिका में महिलाओं की भागीदारी का एक नया इतिहास रचा गया।
मैंने उच्चतम न्यायालय में तीन महिला न्यायाधीशों सहित नौ न्यायाधीशों की नियुक्ति की स्वीकृति दी। आज उच्चतम न्यायालय में कुल 33 न्यायाधीशों में से चार महिला न्यायाधीशों की उपस्थिति न्यायपालिका के इतिहास में आज तक की सर्वाधिक संख्या है। कोविंद ने कार्यक्रम में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के प्रख्यात अधिवक्ता आनंद भूषण शरण के तैल चित्र का भी अनावरण किया।

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