अमेरिका के अलास्का में हुए ट्रंप-पुतिन भेंट ने भले ही यूक्रेन युद्ध पर किसी ठोस समाधान नहीं दिया, लेकिन रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की प्रेस से बातचीत ने पूरी दुनिया को कई अहम संदेश दिए। करीब ढाई घंटे चली बैठक के बाद दोनों नेताओं ने मंच साझा किया, लेकिन पत्रकारों के सवाल लेने से परहेज़ किया। इस बीच पुतिन ने अपने संबोधन में पाँच महत्वपूर्ण बातें कहीं, जो अमेरिका, यूरोप और यूक्रेन के लिए गहरे संकेत छोड़ गईं।
पुतिन ने प्रेस को संबोधित करते हुए शुरुआत ही डोनाल्ड ट्रंप को “प्रिय पड़ोसी” कहकर की। उन्होंने अलास्का और रूस की भौगोलिक निकटता पर जोर दिया, जो बेरिंग जलडमरूमध्य से केवल कुछ मील दूर है। पुतिन ने कहा, “अमेरिका और रूस करीबी पड़ोसी हैं, जिन्हें केवल कुछ मील अलग करते हैं, इसलिए यह शिखर सम्मेलन अलास्का में होना तर्कसंगत था।” इससे उन्होंने रूस और अमेरिका के बीच साझा इतिहास—अलास्का की बिक्री—की याद भी दिलाई।
अपने बयान में पुतिन ने युद्ध का सीधा उल्लेख किए बिना कहा कि अब अमेरिका और रूस को “नया पन्ना खोलकर सहयोग की ओर लौटना चाहिए।” यह संदेश पश्चिम में रूस के अलगाव को खत्म करने की उनकी कोशिश के तौर पर देखा गया। पुतिन ने पहले भी, जॉर्ज डब्ल्यू. बुश के दौर में, इसी तरह सहयोग की बात कही थी, लेकिन 2008 के जॉर्जिया युद्ध ने रिश्तों को बिगाड़ दिया था।
पुतिन ने ट्रंप की इस टिप्पणी को दोहराया कि अगर वह राष्ट्रपति होते, तो यूक्रेन युद्ध कभी नहीं होता। उन्होंने कहा, “ट्रंप को स्पष्ट पता है कि वह क्या हासिल करना चाहते हैं। वह अपने देश की समृद्धि की ईमानदारी से परवाह करते हैं और साथ ही समझते हैं कि रूस के भी अपने राष्ट्रीय हित हैं।” पुतिन ने ट्रंप के मित्रतापूर्ण रवैये की प्रशंसा करते हुए उम्मीद जताई कि व्यावहारिक और कारोबारी रिश्ते बहाल होंगे।
पुतिन ने किसी भी शांति समझौते के लिए अपनी शर्तें दोहराईं। उन्होंने कहा, “संकट की सभी जड़ों को खत्म करना होगा, रूस की वैध चिंताओं को ध्यान में रखना होगा और सुरक्षा क्षेत्र में न्यायसंगत संतुलन बहाल करना होगा।” उन्होंने यूरोप और यूक्रेन को आगाह किया कि वे इस प्रगति को बाधित करने की कोशिश न करें। पुतिन ने कहा, “मुझे उम्मीद है कि जो समझ बनी है, वह हमें शांति की ओर ले जाएगी।”
संवाद समाप्त करते हुए पुतिन ने अंग्रेज़ी में कहा, “Next time in Moscow” यह न केवल निरंतर संवाद की इच्छा को दर्शाता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि रूस अगली बैठक की मेजबानी करना चाहता है। हालांकि, इस प्रस्ताव ने सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या अमेरिकी राजनीति में ट्रंप इसकी आलोचना झेलेंगे और क्या यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की सुरक्षा कारणों से रूस जाने को तैयार होंगे।
इस प्रकार अलास्का सम्मेलन ने भले ही यूक्रेन युद्ध का हल नहीं दिया, लेकिन पुतिन ने अपने शब्दों से अमेरिका, यूरोप और दुनिया को पांच गहरे संदेश जरूर दिए।
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