‘राज साहब’ को मुआवजा मामले में कोर्ट से फटकार, लगाया एक लाख का जुर्माना!

आगरा से लेकर दिल्ली तक सारी जमीन राजकुंवर महेंद्र ध्वज की है। अत: इसे मुझे लौटा दो। उन्होंने मांग की कि मुझे उनका राजस्व मिले। 'राज साहब' की इस अजीब मांग पर कोर्ट ने उन्हें फटकार लगाई|

‘राज साहब’ को मुआवजा मामले में कोर्ट से फटकार, लगाया एक लाख का जुर्माना!

'Raj Saheb' reprimanded by court in compensation case, fined Rs 1 lakh

दिल्ली हाई कोर्ट में एक अजीबो-गरीब याचिका दायर की गई| याचिकाकर्ता का नाम राजकुंवर महेंद्र ध्वजा प्रसाद सिंह है| इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने राजकुंवर महेंद्र को फटकार लगाई| इसके अलावा कोर्ट का समय लेने पर 1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया| आगरा से लेकर दिल्ली तक सारी जमीन राजकुंवर महेंद्र ध्वज की है। अत: इसे मुझे लौटा दो। उन्होंने मांग की कि मुझे उनका राजस्व मिले। ‘राज साहब’ की इस अजीब मांग पर कोर्ट ने उन्हें फटकार लगाई|

राजकुंवर महेंद्र ध्वजा प्रसाद सिंह राजा ठाकुर ध्वजा प्रसाद के पुत्र हैं। वे स्वयं को बेसवान अभिभाग्य साम्राज्य का राजा कहते हैं। उसने एक निजी राज्य होने का दावा किया और दो नदियों यमुना और गंगा के बीच अपना साम्राज्य घोषित किया। 2022 में उन्होंने कुतुब मीनार पर दावा करते हुए साकेत कोर्ट में याचिका भी दायर की थी|

राज कुँवर महेंद्र ध्वजा प्रसाद सिंह ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर यमुना और गंगा के बीच की पूरी जमीन पर दावा किया| इस याचिका में उन्होंने कोर्ट से मांग की है कि उन्हें आगरा से लेकर गुरुग्राम और दिल्ली से देहरादून तक 65 राज्यों के राजस्व का दावा मिलना चाहिए| उन्होंने यह भी मांग की कि केंद्र सरकार विलय की प्रक्रिया पूरी करे और मुआवजा भी दे|

यह याचिका दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ के सामने आई। पीठ ने याचिका खारिज कर दी| साथ ही याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया| याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कोर्ट ने कहा, ‘आप कह रहे हैं कि गंगा से लेकर यमुना तक की पूरी जमीन आपकी है| आप यहाँ किस आधार पर आये? क्या आप आजादी के 75 साल बाद जागे हैं? कोर्ट ने पूछा|

पीठ ने आगे कहा, यह शिकायत 1947 की है| क्या यह दावा बहुत देर से नहीं हुआ है? वह 1947 था और अब हम 2024 में हैं। कई साल बीत गए। हम नहीं जानते कि आप राजा हैं या नहीं। 1947 में आप जिस चीज़ से वंचित थे, उसका दावा आप आज नहीं कर सकते। अब हम आपकी कोई मदद नहीं कर सकते| बहुत देर हो चुकी है। हमें कैसे पता चलेगा कि आप मालिक हैं? पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि हमारे पास दस्तावेज नहीं हैं|

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