सोनम रघुवंशी द्वारा अपने पति की हत्या एक सनसनीखेज वारदात है। सबसे पहला सवाल यही उठता है-आखिर उसने ऐसा क्यों किया? शुरुआती जवाब यह है कि हत्या का कारण प्रेमी राज कुशवाहा है, लेकिन मामला उतना सीधा नहीं है।
सोनम के भाई गोविंद ने दावा किया कि राज को सोनम राखी बांधती थी, और उसके मोबाइल में वह ‘दीदी’ के नाम से सेव थी। यदि यह सच है, तो फिर हत्या का कारण सिर्फ प्रेम नहीं हो सकता।
कम पढ़ी-लिखी सोनम ने तीन वर्षों से अपने भाई गोविंद के व्यापार को इंदौर में संभालना शुरू किया था। वह आज़ाद ख्यालों वाली थी और अपने जीवन को अपनी शर्तों पर जीना चाहती थी। टैटू से लेकर व्यापार तक में उसकी सोच दिखती थी।
सोनम 26 साल की हो चुकी थी। परिवार की ओर से शादी का दबाव बढ़ा, तब उसने अपनी फर्म में कार्यरत, 5 साल छोटे राज कुशवाहा से रिश्ता जोड़ लिया। राज परिवार के लिए समर्पित था और सोनम को उसी तरह का आज्ञाकारी जीवनसाथी चाहिए था।
राज को पति बनाकर सोनम अपने व्यवसाय और जीवन पर पूरा नियंत्रण चाहती थी। उसने यह तक कहा था कि “मां, तुम अपनी मर्जी करो, फिर देखना मैं क्या करती हूं…”। यह संकेत है कि वह किसी भी विरोध को सहन नहीं करती थी।
हत्या के बाद सोनम को कोई पछतावा नहीं हुआ। वह सिर्फ अपने भाई के सामने रोई। अन्यथा वह शांत, गंभीर और निसंवेदनशील बनी रही। गाजीपुर सेंटर में वह सात घंटे सोई भी, जो उसकी मानसिक स्थिति का संकेत है।
विशेषज्ञों का कहना है कि सोनम में एंटी सोशल पर्सनालिटी डिसऑर्डर (ASPD) के लक्षण हैं। इस तरह के लोग अपराध के बाद भी गिल्ट महसूस नहीं करते, दूसरों की भावनाओं की परवाह नहीं करते और अपने लक्ष्य के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।
सोनम की मनोस्थिति क्लस्टर बी प्रकार के व्यक्तित्व विकार में आती है, जहां व्यक्ति या तो बहुत रचनात्मक होता है या बहुत आत्मकेंद्रित। अगर निर्णय उसकी मर्जी के मुताबिक हों तो वह श्रेष्ठ प्रदर्शन करता है, लेकिन विरोध होने पर वह घातक कदम उठा सकता है।
सोनम ने अपनी ज़िद और अधिकार की भावना में पति को रास्ते से हटा दिया। हत्या की यह कहानी सिर्फ प्रेम त्रिकोण नहीं, बल्कि मानसिक जटिलताओं, पारिवारिक दबाव, और आत्म-आधिपत्य की ग्रंथि का नतीजा है।
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