केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को पूर्वी लद्दाख की दुर्गम पहाड़ियों के बीच स्थित रेजांग ला में एक पुनर्निर्मित युद्ध स्मारक का उद्घाटन किया। यह वह जगह है जहां भारतीय सैनिकों ने 1962 में चीनी सैनिकों से बहादुरी के साथ लड़ाई लड़ी थी। इस अवसर पर राजनाथ सिंह ने 1962 के युद्ध में शामिल रहे ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) आरवी जतर को स्मारक तक व्हीलचेयर से ले गए। रक्षा मंत्री ने इस दौरान कहा कि ”18,000 फीट की ऊंचाई पर ऐतिहासिक लड़ाई की कल्पना करना बहुत ही मुश्किल है। उन्होंने कहा कि उस समय मेजर शैतान सिंह और उनके साथी सैनिकों ने ‘आखिरी गोली तक बहादुरी के साथ लड़ाई लड़ी और एक नया अध्याय लिखा।”
बता दें कि,1962 के भारत-चीन युद्ध में मेजर, ब्रिगेडियर जटार ने रेजांग ला की लड़ाई के दौरान मुगर हिल में कुमाऊं की 13 ब्रावो और डेल्टा कंपनियों की कमान संभाली थी। राजनाथ सिंह ने स्मारक को राष्ट्र को समर्पित किया और कहा कि यह भारतीय सेना द्वारा प्रदर्शित अदम्य साहस का प्रतीक है, उन्होंने कहा कि यह न केवल “इतिहास के पन्नों में अमर है, बल्कि हमारे दिलों में भी धड़कता है”।
राजनाथ सिंह ने कहा “18,000 फीट की ऊंचाई पर लड़े गए रेजांग ला की ऐतिहासिक लड़ाई की कल्पना करना मुश्किल है। मेजर शैतान सिंह और उनके साथी सैनिकों ने ‘आखिरी गोली और आखिरी सांस’ तक लड़ाई लड़ी और बहादुरी और बलिदान का एक नया अध्याय लिखा।”
114 वीर जवानों ने जान देकर इस सीमा की रक्षा की है। वो केवल एक बहादुर सैनिक नहीं थे बल्कि एक आध्यात्मिक पुरुष थे क्योकि देश के लिए बलिदान वही दे सकता है जिसका मन बड़ा होगा। मैं उन्हें नमन करता हूं: रेजांग ला वॉर मेमोरियल में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, लेह, लद्दाख pic.twitter.com/U8OiKwJGVY
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 18, 2021
राजनाथ सिंह ने बाद में ट्वीट किया कि उन्होंने रेजांग ला में अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने ट्वीट में कहा, “रेजांग ला की लड़ाई को दुनिया के दस सबसे बड़े और सबसे चुनौतीपूर्ण सैन्य संघर्षों में से एक माना जाता है।” रक्षा मंत्रालय के ट्विटर पर ब्रिगेडियर जतर के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा व्हीलचेयर को युद्ध स्मारक तक ले जाते एक वीडियो पोस्ट किया गया। ट्वीट में लिखा है, “13 कुमाऊं के ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) आर वी जातर, जिन्होंने 1962 के चीन-भारत युद्ध में बहादुरी से लड़ाई लड़ी थी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह उनके साथ थे।”
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