भारत में रामायण सर्किट पर सरकार काम कर रही है। वहीं पड़ोसी देश श्रीलंका भी भारतीय पर्यटकों को लुभाने के लिए रामायण ट्रेल प्रोजेक्ट की शुरुआत की है और इसके लिए बाकायदा एक अधिकारी भी नियुक्त किया है। इस बात की जानकारी भारत में श्रीलंका के राजदूत मिलिंद मोरागोड़ ने महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैंस से मुलाकात के दौरान दी थी। श्रीलंका सरकार दुनियाभर में हिंदू तीर्थयात्रियों को आकर्षित करने के लिए इस धार्मिक सर्किट को प्रमोट कर रही है।
श्रीलंका टूरिज्म बोर्ड के अधिकारी और रामायण रेल प्रोजेक्ट के इंचार्ज जीवन फर्नांडो ने बताया कि श्रीलंका में लगभग ऐसी ऐसी 80 जगहें हैं, जिनका जिक्र रामायण की कथाओं में मिलता है। इनमें से 56 जगहों की मान्यताओं के बारे में आधिकारिक पुष्टि कर ली गई है। इन 56 में से 32 ऐसी जगहें हैं, जिनको रामायण ट्रेल के तौर पर श्रीलंका की सरकार और टूरिज्म बोर्ड ना सिर्फ विकसित कर रहा है, बल्कि उन्हें प्रमोट भी कर रही ही। इसके अलावा बाकी की जगह या तो फॉरेस्ट रिजर्व में है या फिर उनकी मान्यताओं के बारे में कोई कंफर्मेशन नहीं मिल पाया है।
श्रीलंका में करीब 5 बड़े शिव मंदिर हैं, जिसमें एक मंदिर त्रिंकोमाली में स्थित है। श्रीलंका में वो मंदिर भी मौजूद हैं, जहां विभीषण की पूजा की जाती है। इस छोटे से देश में चारों दिशाओं में ऐतिहासिक धरोहर मौजूद हैं। धार्मिक जगह में एक जगह है सीता कोटवा, जिसके बारे में मान्यता है कि यह रानी मंदोदरी का महल है। जिसे उस समय अनंतपुरम के नाम से जाना जाता था। सीता कोटवा तक पहुंचने के लिए लगभग 2 किलोमीटर का ट्रैक चढ़कर जाना होता है।
श्रीलंका की सरकार रामसेतु को भी प्रमोट कर रहा है, जो उत्तरी श्रीलंका में मौजूद है और लगभग 30 किलोमीटर लंबा है। इसी तरह वेरेंगनटोटा का भी जिक्र इस रामायण सर्किट में है, मान्यताओं के मुताबिक यह रावण के हवाई अड्डे थे। जिनपर उसके विमान उतरते थे। इन जगहों में हनुमान टेंपल भी है, जो रामबोड़ा इलाके में है। मान्यता है कि भगवान हनुमान ने इसी जगह उतरकर अशोक वाटिका का पता लगाया था।
सीता मंदिर जो सीता एलिया इलाके में मौजूद है। नुवारा एलिया इलाके के जंगलों के बीच इस इलाके को ही अशोक वाटिका के नाम से जाना जाता है। इसे अशोक वनम कहा गया है और मान्यता है कि माता सीता के अपहरण के बाद रावण ने इसी जगह पर रखा था। यहाँ गायत्री पीडम का भी जिक्र है, जहां मान्यताओं के मुताबिक रावण के बेटे मेघनाथ ने प्रार्थना पूजा करके अद्भुत दैवीय शक्तियां हासिल की थी। इसी जगह पर मेघनाथ के हवन को लक्ष्मण और हनुमान ने भंग कर दिया था।
उसानगोडा मान्यताओं के मुताबिक वो जगह है, जहां रावण की सभा में हनुमान ने शक्ति प्रदर्शन किया था और इसी जगह पर उनकी पूंछ में आग लगा दी गई थी। पथलालोका का भी जिक्र इस रामायण सर्किट में है, जहां मान्यताओं के मुताबिक पाताल लोक है। प्रोजेक्ट रामायण ट्रेल श्रीलंका के लिए बेहद महत्वपूर्ण परियोजना है। जिसका फायदा दुनियाभर के हिंदू तीर्थ यात्रियों को तो मिलेगा ही, साथ-साथ आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका को पर्यटन के कारोबार को बढ़ावा देने में भी मददगार होगा।
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