पाकिस्तान की सियासत में एक नया मोड़ आया है। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पूर्व पत्नी रेहम खान ने मंगलवार को औपचारिक रूप से अपनी नई राजनीतिक पार्टी ‘पाकिस्तान रिपब्लिक पार्टी’ (PRP) के गठन की घोषणा कर दी है। कराची प्रेस क्लब में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, “मैंने पहले कभी किसी राजनीतिक पद को स्वीकार नहीं किया। एक बार सिर्फ एक शख्स के लिए पार्टी से जुड़ी थी। लेकिन आज मैं खुद के उसूलों पर खड़ी हूं।”
रेहम खान का यह कदम ऐसे समय में आया है जब पाकिस्तान में पारंपरिक राजनीतिक दलों जैसे पीएमएल-एन, पीटीआई और पीपीपी पर जनविश्वास लगातार कम होता जा रहा है। उन्होंने कहा, “यह सिर्फ एक पार्टी नहीं, बल्कि एक आंदोलन है जो राजनीति को सेवा में बदलना चाहता है।”
रेहम खान 2015 में इमरान खान से विवाह के बाद पाकिस्तान में चर्चा में आईं। यह उनका दूसरा विवाह था। इससे पहले उन्होंने 1993 में मनोचिकित्सक इजाज़ रहमान से शादी की थी, जिससे उनके तीन बच्चे हैं। पत्रकारिता से लेकर बीबीसी तक का सफर करने वाली रेहम ने 2016 में ‘जनान’ नामक फिल्म का निर्माण भी किया था।
उनकी इमरान खान से शादी के समय यह बात चर्चा में रही कि वह तालिबान द्वारा पेशावर स्कूल में 130 बच्चों की हत्या के कुछ ही हफ्तों बाद हुई थी। इसके अलावा, पाकिस्तानी कट्टरपंथियों ने रेहम के अतीत और जीवनशैली को लेकर आलोचना की थी — विशेषकर एक वीडियो जिसमें वह पोर्क सॉसेज पका रही थीं।
2015 में यह विवाह मात्र 10 महीनों में टूट गया। बाद में रेहम ने इमरान पर अपनी शादी के दौरान बुशरा वटू के साथ अफेयर का आरोप लगाया। 2022 में उन्होंने अमेरिकी-पाकिस्तानी अभिनेता मिर्ज़ा बिलाल से तीसरी शादी की। रेहम खान ने कहा, “हमारी पार्टी आम जनता की आवाज़ बनेगी और सत्ताधारी वर्ग की जवाबदेही तय करेगी।” उन्होंने स्वास्थ्य, साफ़ पानी, महिला सशक्तिकरण और किसानों के अधिकारों को अपने एजेंडे में प्रमुखता से शामिल किया है। उन्होंने पुराने राजनीतिक दलों पर करारा हमला बोलते हुए कहा, “हम न तो चार सीटों से एक साथ चुनाव लड़ेंगे और न ही राजनीतिक खेल खेलेंगे। हम यहां किसी राजनीतिक खानदान की सेवा के लिए नहीं हैं।”
वर्तमान में पाकिस्तान की सत्ता पीएमएल-एन और पीपीपी के गठबंधन के पास है। वहीं इमरान खान की पार्टी पीटीआई मुश्किल में है, क्योंकि खुद इमरान पिछले एक साल से जेल में बंद हैं और 5 अगस्त से देशव्यापी आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं।
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था भी गंभीर संकट से जूझ रही है। देश पर कर्ज का बोझ इतना अधिक है कि राजस्व का दो-तिहाई हिस्सा सिर्फ ब्याज चुकाने में चला जाता है, जिससे शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे बुनियादी क्षेत्रों के लिए कुछ नहीं बचता। इन परिस्थितियों में रेहम खान की पार्टी की विश्वसनीयता और प्रभावशीलता पर सवाल उठना लाजमी है। कई विशेषज्ञ मानते हैं कि इस पहल का असली मूल्यांकन तभी होगा जब पार्टी जमीनी स्तर पर काम कर पाए और जनता से जुड़ सके।
फिलहाल इतना तय है कि रेहम खान की यह पहल पाकिस्तान की राजनीति में एक नया अध्याय खोलने का दावा जरूर कर रही है, लेकिन उसका परिणाम क्या होगा — यह आने वाला वक्त बताएगा।
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