आरजी कर बलात्कार और हत्या प्रकरण में पीड़िता के परिवार की वकील वृंदा ग्रोवर ने सुप्रीम कोर्ट, कलकत्ता उच्च न्यायालय और सियालदह ट्रायल कोर्ट में मामले से हटने के का निर्णय लिया है। कहा जा रहा है की एडवोकेट वृंदा ग्रोवर ने पीड़ित परिवार और कानूनी टीम के बीच मतभेद के कारण इस मामले से हटने का फैसला लिया है।
वृंदा ग्रोवर के चैंबर्स से आए बयान अनुसार कानूनी टीम ने सितंबर 2024 से पीड़ित परिवार को ‘प्रो बोनो’ सहायता की थी। वकील सौतिक बनर्जी और अर्जुन गुप्तू शामिल हैं, जिन्होंने 4 नवंबर से सियालदह सत्र न्यायालय में दैनिक उपस्थिति सहित कई अदालतों में परिवार का बचाव किया है। बयान में कहा गया है की कुछ हस्तक्षेप कारकों और परिस्थितियों के कारण, अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर का चैंबर इस मामले में केस की कार्यवाही से हटने के लिए विवश है, और अब वे पीड़ित परिवार का प्रतिनिधित्व नहीं करेंगे। संबंधित ट्रायल कोर्ट को भी तदनुसार सूचित कर दिया गया है और वकीलों को मुकदमे से मुक्त कर दिया गया है। इस अवधि के दौरान, 43 अभियोजन पक्ष के गवाहों के साक्ष्य दर्ज किए गए हैं, और अन्य आरोपी व्यक्तियों की जमानत का लगातार और सफलतापूर्वक विरोध किया गया है। शेष अभियोजन पक्ष के साक्ष्य अगले 2-3 दिनों में पूरे होने वाले हैं।
इसमें कहा गया है की, “अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर और उनके कानूनी सहयोगी न्यायालय के वकील और अधिकारी के रूप में केवल कानून, साक्ष्य और पेशेवर नैतिकता के अनुसार ही कानूनी सेवाएं प्रदान करते हैं। इस स्तर पर, कुछ हस्तक्षेप करने वाले कारकों और परिस्थितियों के कारण, अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर का चैंबर इस मामले में केस की कार्यवाही से हटने के लिए विवश है और अब पीड़ित परिवार का प्रतिनिधित्व नहीं करेंगी।”
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इस घटना के बाद भाजपा आईटी सेल के अध्यक्ष अमित मालवीय ने भी वृंदा ग्रोवर और ममता बनर्जी पर निशाना साधा है। उन्होंने एक्स के जरिए ट्वीट कर लिखा,”वरिष्ठ अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने आरजी कर बलात्कार और हत्या मामले में पीड़ित के परिवार का प्रतिनिधित्व करने से खुद को अलग कर लिया है, मुकदमे में महत्वपूर्ण प्रगति के बाद कई अदालतों में अपनी निःशुल्क कानूनी सहायता समाप्त कर दी है। ममता बनर्जी और टीएमसी नेतृत्व, जो इस मामले में मुख्य पात्रों में से एक है, के साथ उनकी निकटता को देखते हुए उन्हें इस मामले में शामिल नहीं होना चाहिए था। यह कोई आश्चर्यजनक घटना नहीं है…”
गौरतलब है कि, सीबीआई ने मंगलवार (10 दिसंबर) को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है की उनकी केस एक महीने में पूरी हो जाएगी, वहीं वृंदा ग्रोवर ने इस मामले से ऐसे समय में केस से नाम पिछे लिया है। बता दें की, 22 अक्टूबर को आरजी कर अस्पताल में बलात्कार और हत्या को लेकर प्रदर्शन कर रहे जूनियर डॉक्टरो ने राज्य सचिवालय नवान्न में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ दो घंटे की बैठक के बाद अपनी भूख हड़ताल समाप्त कर दी।
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