रूस-यूक्रेन संग्राम: ठप्प पड़ जायेगा यूरोप, मचेगा हाहाकार

युद्ध टालने के लिए रूस और यूक्रेन की तरफ से कूटनीतिक प्रयास भी जारी हैं। यूक्रेन ने रूस के साथ 48 घंटे के अंदर बैठक करने की इच्छा जताई है।

रूस-यूक्रेन संग्राम: ठप्प पड़ जायेगा यूरोप, मचेगा हाहाकार

रूस और यूक्रेन महासंग्राम लगभग तय माना जा रहा है| यदि युद्ध जैसी स्थिति उत्पन्न हुई तो यूरोपीय देशों में हाहाकार मच जायेगा| फ़िलहाल दोनों ही देश सीमा पर हमले की आशंका के बीच 48 घंटे के अंदर बैठक करने की इच्छा जताई है। यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा ने कहा, हमने अनुरोध किया था कि रूस बताए कि उसने सीमा पर सेना और युद्ध तैयारियां तेज क्यों ​​कर दी हैं। इस अनुरोध को रूस ने अनदेखा कर दिया है।

रूस और यूक्रेन दोनों युद्ध के दरवाजे पर पहुंच चुके हैं। हालात ऐसे हैं कि कभी भी सीधी लड़ाई शुरू हो सकती है। लगातार बढ़ते तनाव की वजह से दुनिया भर के क्रूड ऑइल मार्केट में भी उथल-पुथल जारी है। रूस एक दिन में एक करोड़ बैरल तेल का उत्पादन करता है, जो वैश्विक मांग का लगभग 10 प्रतिशत है। इसके साथ ही वो यूरोप में नेचुरल गैस का सबसे बड़ा सप्लायर है। अगर यह सप्लाई लाइन बिगड़ती है तो ईंधन की कीमतें आसमान छू जाएंगी।

यूरोपीय नेचुरल गैस की कीमतों में भी लगभग 6 प्रतिशत की वृद्धि हुई। गौरतलब है कि रूस यूरोप का सबसे बड़ा नेचुरल गैस सप्लायर है। अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन धमकी दे चुके हैं कि अगर रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तो उसकी यूरोप के साथ गैस पाइप लाइन परियोजना नॉर्ड स्ट्रीम 2 को शुरू होने नहीं दिया जाएगा। बाइडेन एडमिनिस्ट्रेशन ईरान के साथ न्यूक्लियर डील को फिर से ट्रैक पर लाने की कोशिश कर रहा है। इस डील के अधर में लटके होने की वजह से ईरान को अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है।

अगर यह डील हो जाती है तो ईरान हर दिन 10 लाख बैरल तेल का उत्पादन कर सकेगा। युद्ध टालने के लिए रूस और यूक्रेन की तरफ से कूटनीतिक प्रयास भी जारी हैं। यूक्रेन ने रूस के साथ 48 घंटे के अंदर बैठक करने की इच्छा जताई है। युद्ध का सबसे बड़ा खतरा नेचुरल गैस की सप्लाई कड़ी पर गंभीर असर पड़ेगा। रूस यूक्रेनियन पाइपलाइन के जरिए यूरोप को कुल नेचुरल गैस का एक तिहाई यानी की लगभग 33 प्रतिशत सप्लाई करता है।

अगर यह सप्लाई क्रम प्रभावित होती है तो फिर बिजली उत्पादन में कटौती करनी पड़ सकती है साथ ही कारखानों को भी बंद करना पड़ सकता है। इसके साथ ही दुनिया भर के शेयर मार्केट में और ज्यादा गिरावट आएगी। कंसल्टिंग फर्म रिस्टैड एनर्जी के निशांत भूषण का कहना है कि, सिर्फ युद्ध का संभावित खतरा ही कीमतों में तेजी ला सकता है। बहुत से लोग कोरोना वजह से पब्लिक ट्रांसपोर्ट छोड़कर प्राइवेट व्हीकल का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं।

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