अफ्रीका में आम का लुत्फ उठाते दिखे सद्गुरु, कहा-इंडिया जैसा स्‍वाद नहीं ?

सद्गुरु ईशा फाउंडेशन के संस्थापक एक योग गुरु और लेखक है” सद्गुरु की ईशा फाउंडेशन संस्था नॉनप्रॉफिट एबल है जो पूरे विश्व में योग सिखाने का काम करती है|

अफ्रीका में आम का लुत्फ उठाते दिखे सद्गुरु, कहा-इंडिया जैसा स्‍वाद नहीं ?

सद्गुरु द्वारा अफ्रीका प्रवास के दौरान अफ़्रीकी आम का स्वाद लिया गया| इस दौरान उन्होंने भारतीय आमों की जमकर तारीफ करते हुए कहा कि भारत के आमों का स्वाद अफ़्रीकी आमों में नहीं मिल सकता है| हालांकि की आम एक मौसमी फल है| अक्सर गर्मी के दिनों में आम फल को बाजार में देखा जा सकता है| वैसे तो इसे फलों का राजा भी कहा जाता है| गौरतलब है कि अपने विचारों से लाखो लोगों की जिंदगी बदलने वाले सद्गुरु को जो भी बोलते हुए सुनता है वह उन्हें और सुनने की चाहत रखता है| सद्गुरु का असली नाम सद्गुरु जग्गी वासुदेव उनके बचपन का नाम जगदीश है|

सद्गुरु का जन्म 3 सितंबर 1957 को मैसूर कर्नाटक में हुआ| लेकिन बहुत कम लोगों को पता होगा कि सद्गुरु को आम से खास लगाव है| और ये हम नहीं बल्कि, वो खुद ही कह रहे हैं|आम गर्मियों के मौसम में आने वाला मौसमी फल है और शायद ही कोई होगा जिसे आम खाना न पसंद हो और कुछ हमारी तरह ही आम खाने का शौक रखते हैं| उन्होंने एक वीडियो शेयर किया जिसमें वो भारत के आमों की तारीफ करते नजर आ रहे हैं|

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सद्गुरु ने अपनी ईशा फाउंडेशन की मदद से न जाने कितने लोगों की जिंदगी को बदला है| आपको बता दें कि सद्गुरु ईशा फाउंडेशन के संस्थापक एक योग गुरु और लेखक है” सद्गुरु की ईशा फाउंडेशन संस्था नॉनप्रॉफिट एबल है जो पूरे विश्व में योग सिखाने का काम करती है|

सोशल मीडिया पर सद्गुरु के लाखों में फैन फॉलोइंग है| जग्गी वासुदेव ने 100 से भी ज्यादा पुस्तकें लिखी है| इन्हें भारत सरकार की तरफ से 2017 में पदम विभूषण अवार्ड से भी सम्मानित किया गया| सद्गुरु जग्गी वासुदेव बचपन में अधिकतर समय जंगलों में बिताया करते थे वे पेड़ों पर बैठकर हवा का आनंद लेते थे तथा प्रकृति को निहारते रहते थे| जग्गी वासुदेव ने 1984 में विजय कुमारी से विवाह किया| 1997 में इनकी पत्नी का देहांत हो गया। इनसे एक पुत्री  है, जिनका नाम राम राधे है|

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