पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के बेलडांगा में टीएमसी से निलंबित विधायक हुमायूं कबीर द्वारा अयोध्या की बाबरी मस्जिद की तर्ज पर बनने वाली मस्जिद के लिए नींव स्वरूप पत्थर और ईंट रखने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। इस कदम ने अयोध्या के संत-धर्माचार्यों में गहरा रोष पैदा किया है।
संतों का कहना है कि यह 140 करोड़ भारतीयों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला कृत्य है। उनका आरोप है कि बाबर एक आक्रमणकारी और लुटेरा था, ऐसे में उसके नाम पर किसी इस्लामिक संरचना का निर्माण करना न केवल अनुचित है, बल्कि देश के सामाजिक सौहार्द के लिए भी हानिकारक है।
बाबरी मस्जिद केस के पूर्व पक्षकार इकबाल अंसारी ने भी इस घटना को राजनीति से प्रेरित बताया। उन्होंने कहा कि राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद अब पूरी तरह समाप्त हो चुका है, सुप्रीम कोर्ट के फैसले को देशभर के मुसलमानों ने सम्मानपूर्वक स्वीकार किया है।
फिर भी चुनावी माहौल की आहट के बीच बंगाल के टीएमसी नेता बाबर के नाम पर मस्जिद निर्माण की बात कर विवाद खड़ा करने में लगे हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा कि बाबर कोई मसीहा नहीं था, इसलिए उसके नाम पर मस्जिद बनाना उचित नहीं है।
दंतधावन कुंड पीठाधीश्वर महंत विवेक आचारी ने कहा कि भारत आज विकास और आध्यात्मिक समृद्धि की दिशा में आगे बढ़ रहा है। विश्वभर में सनातन संस्कृति की प्रतिष्ठा बढ़ रही है, ऐसे समय में बाबर के नाम को लेकर विवाद पैदा करना देश का माहौल खराब करने की कोशिश है। उन्होंने हुमायूं कबीर की कार्रवाई को ‘कुत्सित प्रयास’ बताया।
जगद्गुरु परमहंसाचार्य ने भी कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि धर्म और राष्ट्र के खिलाफ किए जाने वाले किसी भी कृत्य को संत समाज सहन नहीं करेगा। बाबर के नाम पर निर्माण को उन्होंने राष्ट्रद्रोह की श्रेणी में रखा और हुमायूं कबीर की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की।
हनुमानगढ़ी के मुख्य पुजारी राजूदास ने इसे एक जनप्रतिनिधि द्वारा किया गया दुर्भाग्यपूर्ण कार्य बताया। उन्होंने कहा कि देश के हिंदुओं को जागरूक होकर ऐसे प्रयासों का जवाब देना होगा, अन्यथा सामाजिक असंतुलन बढ़ सकता है।
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