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वामपंथी आंदोलन के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी का निधन!

भारतीय वामपंथी राजनीति में एक महत्वपूर्ण आवाज के रूप में उभरने में मदद की।

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मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता और पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी का लंबी बीमारी के कारण उनका निधन हो गया। उन्हें 10 सितंबर को दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया था|12 सितंबर को उनका निधन हो गया। बुखार और कमजोरी महसूस होने के बाद उनका इलाज गहन चिकित्सा इकाई में किया जा रहा था। लेकिन इलाज के दौरान 72 साल के येचुरी की मौत हो गई| 

वर्ष 2015 में, वरिष्ठ नेता प्रकाश करात के बाद सीताराम येचुरी को मार्क्सवाद की कम्युनिस्ट पार्टी का महासचिव नियुक्त किया गया था। इसके बाद उन्हें दो बार 2018 और 2022 में इस पद पर रहने का मौका मिला| वामपंथी पार्टी की निर्णय लेने की प्रक्रिया में महासचिव का पद सर्वोच्च माना जाता है।

कौन थे सीताराम येचुरी?: सीताराम येचुरी भारत के एक प्रमुख मार्क्सवादी नेता हैं, जिनकी राजनीतिक जड़ें वामपंथी आंदोलन में बनी थीं। उनका मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी यानी सीपीआई (एम) के एक साधारण कार्यकर्ता से लेकर महासचिव के सर्वोच्च पद तक का राजनीतिक सफर है। वामपंथी विचारधारा के प्रति निष्ठा, उसके अनुरूप अपनाए गए रुख और समय-समय पर उन रुख के लिए राजनीतिक कीमत चुकाने की इच्छा इन गुणों ने उन्हें भारतीय वामपंथी राजनीति में एक महत्वपूर्ण आवाज के रूप में उभरने में मदद की।

प्रारंभिक जीवन और राजनीतिक प्रवेश: सीताराम येचुरी का जन्म 12 अगस्त 1952 को चेन्नई में हुआ था। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा हैदराबाद में की और फिर दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस कॉलेज से अर्थशास्त्र में डिग्री के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की। बाद में, उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर किया, जहां से उनका राजनीतिक करियर शुरू हुआ।

1970 के दशक में, एक छात्र रहते हुए, येचुरी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के एक छात्र संगठन, स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) में शामिल हो गए। कालांतर में वह एसएफआई के प्रमुख नेता बने और संगठन के अध्यक्ष बने। 1984 में येचुरी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति के सदस्य बने।1992 में उन्हें पार्टी के पोलित ब्यूरो में नियुक्त किया गया। उन्होंने कई वर्षों तक पार्टी के मुखपत्र “पीपुल्स डेमोक्रेसी” के संपादक के रूप में भी काम किया।

कैसा था राजनीतिक करियर?: 1975 के आपातकाल के दौरान सीताराम येचुरी ने सरकार विरोधी प्रदर्शनों का नेतृत्व किया और इसके लिए उन्हें जेल भी हुई। इसके बाद वह सीपीआई (एम) के एक महत्वपूर्ण नेता बन गए। वह 2005 में राजनीतिक कार्यकारी समिति में शामिल हुए और 2015 में पहली बार पार्टी के महासचिव बने।उनके नेतृत्व में पार्टी ने देश में विभिन्न आंदोलनों और श्रमिकों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी है। इसके बाद 2018 और 2022 में उन्हें दोबारा इसी पद पर नियुक्त किया गया|

राज्यसभा सांसद से लेकर यूपीए सरकार में प्रमुख नेता: सीताराम येचुरी ने 2005 से 2017 तक राज्यसभा में पार्टी का प्रतिनिधित्व किया। संसद में उन्होंने विभिन्न मुद्दों, विशेषकर श्रमिकों, गरीबों और मध्यम वर्ग के अधिकारों और समस्याओं पर अपनी आवाज उठाई। संसद में उनके कई भाषण लोकप्रिय हुए। न केवल वामपंथी आंदोलन के लोग, बल्कि अन्य पार्टी के नेता और राजनीतिक पंडित भी येचुरी की स्थिति से चिंतित थे। उन्होंने हमेशा श्रमिकों, श्रमिकों के मुद्दों और किसानों के अधिकारों के लिए संसद और सड़कों पर लड़ाई लड़ी।धर्मनिरपेक्षता के मुद्दे पर हमेशा खड़े रहे और संघ परिवार की हिंदुत्व विचारधारा का हमेशा विरोध किया| 

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